खुशी की बात: वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में उगाया पौधा, बोले- यह बेहतर भविष्य की शुरुआत

वैज्ञानिकों को चंद्रमा की मिट्टी में पौधे उगाने में सफलता मिली है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अंतरिक्ष में रहने और वहां खाद्य स्रोत जुटाने तथा वहां की जाने वाली खेती के लिए अच्छे नतीजे देने वाला साबित होगा। वैज्ञानिक इससे जुड़े और अध्ययन अभी कर रहे हैं। 
 

नई दिल्ली। अंतरिक्ष में खेती को लेकर मनुष्यों ने एक बड़ी छलांग लगाई है। वैज्ञानिकों को अपोलो कार्यक्रम के तहत चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में पौधे उगाने में सफलता मिली है। इस अभूतपूर्व प्रयोग के बारे में गुरुवार को बायोलॉजी जर्नल में विस्तार से बताया गया है। इसमें रिसर्च टीम ने यह उम्मीद जताई है कि चंद्रमा पर खेती करना संभव हो सकेगा। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि यह बेहतर  भविष्य की शुरुआ है। 

इस सफलता के बाद यह तय है कि इससे भविष्य में अंतरिक्ष मिशन में होने वाली कई परेशानियों और बेवजह के खर्चों से वैज्ञानिकों को मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही, लंबी और दूर की अंतरिक्ष यात्राएं अब सुगमता से पूरी की जा सकेंगी। हालांकि, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने बताया है कि इस मिशन को लेकर अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है। रिसर्च टीम इस मामले में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहती। 

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अंतरिक्ष मिशन के लिए बेहद फायदेमंद होगी यह सफलता 
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने इस नतीजे को देखने के बाद कहा, यह रिसर्च नासा के दीर्घकालिक मानव खोज के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण साबित होगी। हमें इससे अंतरिक्ष में रहने, वहां अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाद्य स्रोत जुटाने और मंगल तथा चंद्रमा पर जीवन की खोज को लेकर चलाए जा रहे हमारे अभियानों को पूरा करने में यह मददगार साबित होगी। 

अलग-अलग मिशन से लाई गई मिट्टी में उगाए पौधे 
इस प्रयोग के लिए अपोलो के 11वें, 12वें और 17वें मिशन के दौरान चंद्रमा के विभिन्न जगहों से एकत्रित की गई मिट्टी से 12 ग्राम मिट्टी को एक छोटे आकार के बर्तन में रखा गया। इसके अलावा, इसमें एक खास तरह की मिट्टी जिसे रेगोलिथ कहते हैं, उसका एक ग्राम अंश इसमें मिलाया गया। पानी मिलाकर बीज डाला गया। पौधे को उगने में मदद के लिए जरूरी पोषक तत्व उसमें रोज दिए जा रहे थे। खेती से जुड़ी वह सभी जरूरी चीजें की गईं, जो धरती पर और अंतरिक्ष में किया जाना संभव है और यहां के तथा वहां के वातावरण से मेल खाता है। रिसर्च टीम ने बताया कि उन्होंने नतीजे में सरसो प्रजाति का एक साग उगाने में सफलता हासिल की है। 

20 दिन बाद पौधा बड़ा हुआ तो डीएनए स्टडी की गई  
रिसर्च टीम के अनुसार, उन्होंने यही काम उसी समय पर पृथ्वी की मिट्टी और मंगल से लाई गई मिट्टी में भी किया। चंद्रमा की मिट्टी में यह प्रक्रिया धीमी गति से हुई। हालांकि, बीज दो दिनों में अंकुरित हो गया, मगर उसके बाद की प्रक्रिया धीमी गति से हुई। करीब 20 दिन बाद पौधा बड़ा हुआ तो उसकी डीएनए स्टडी की गई। इसके रिपोर्ट में सामने आया कि चंद्रमा से लाई गई मिट्टी से प्रतिकूल वातावरण में उगाए गए पौधे में करीब-करीब समान प्रतिक्रिया थी, जबकि मिट्टी में नमक और भारी धातु के अंश ज्यादा थे। 

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