इस मंदिर में भगवान को लड्डू-पेड़ा या मिसरी-किशमिश नहीं, लगता है जंकफूड का भोग

एक अनोखा मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान को बर्गर, सैंडविच और ब्राउनी का भोग लगाया जाता है। भक्तों को प्रसाद के तौर पर यही दिया जाता है। नियमित मंदिर आने वाले भक्तों के जन्मदिन पर केक कटता है और उस दिन वही प्रसाद के तौर पर दिया जाता है। 

Asianet News Hindi | / Updated: Jun 29 2022, 07:04 AM IST

नई दिल्ली। अगर आप हिन्दू धर्म से हैं, तो मंदिर जरूर जाते होंगे। नियमित नहीं भी जा पाएं तो महीने से एक से दो बार जाते ही होंगे। वहां, भगवान को चढ़ाया गया भोग भी प्रसाद के तौर पर पुजारी जी भक्तों को देते हैं, वह प्रसाद भी आपने जरूर ग्रहण किया होगा। अक्सर आपने देखा होगा कि प्रसाद में मिसरी, लाचीदाना/सिंगदाना, किशमिश या मिठाई आदि मिलता है। मगर क्या आप जानते हैं कि एक मंदिर ऐसा भी है, जहां प्रसाद के तौर पर यह सब नहीं मिलता। 

आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां भगवान को केक, सैंडविच, बर्गर और ब्राउनी का भोग लगाया जाता है। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। यह अनोखा मंदिर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पडप्पाई में स्थित जय मां दुर्गा पीठ मंदिर है। मां के इस मंदिर में भक्तों -श्रद्धालुओं को मिसरी, किशमिश, मिठाई और फल की जगह बर्गर, सैंडविच और ब्राउनी का प्रसाद दिया जाता है। यही भोग के तौर पर पहले मां को चढ़ाया भी जाता है। 

मंदिर नियमित आने वाले भक्तों का रिकॉर्ड रखता है प्रबंधन, जन्मदिन पर कटता है केक 
इस मंदिर से जुड़ी एक और दिलचस्प बात है, वह यह कि अगर आप इस मंदिर में नियमित तौर पर दर्शन-पूजन के लिए आते हैं, तो मंदिर प्रबंधन आपसे संबंधित पूरा रिकॉर्ड अपने यहां दर्ज किया होता है। इसमें आपकी जन्मतिथि भी शामिल होती है। ऐसे में जब कभी आप अपने जन्मदिन पर मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं, तब उस दिन मंदिर प्रबंधन भोग के तौर पर आपके लिए केक का प्रसाद चढ़ाता है और संबंधित भक्त से केक कटवा कर बाकी श्रद्धालुओं को केक का प्रसाद दिया जाता है। आप यह जानकार हैरान होंगे कि यह पूरा अनोखा प्रसाद मंदिर परिसर में प्रबंधन की देखरेख में बनता है। ऐसे में इसकी शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट और FSSAI की ओर से भी प्रसाद की पूरी जांच -परख की जाती है। 

प्रसाद पर एक्सपायरी डेट, श्रद्धालुओं को तय तारीख के बाद ग्रहण नहीं करने की सलाह 
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, परिसर में हर तरह की पवित्रता का विशेष ध्यान दिया जाता है। ऐसे में प्रसाद पूरी शुद्धता से बनता है, क्योंकि यह भगवान को भोग लगाया जाता है और भक्तों -श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर दिया जाता है। यह उनके स्वास्थ्य से जुड़ा मसला भी है, इसलिए प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है। यही नहीं, प्रसाद पर उसकी एक्सपायरी डेट भी लिखी होती है। इसका मतलब यह है कि श्रद्धालु दिए गए प्रसाद को कब तक ग्रहण कर सकते हैं। एक्सपायरी डेट के बाद इसके खराब होने की आशंका रहती है, इसलिए हम तय तारीख के बाद इसे खाने की सलाह नहीं देते। 

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