महिला पत्रकार ने कहा- नहीं भागी तो मार देंगे, ऐसे देश की कहानी, जहां गरीबी की खबर दिखा रहे पत्रकार पर गन तानी

काबुल एयरपोर्ट पर वाहिदा फैजी नाम की पत्रकार ने अपना डर बतााय। उन्होंने बीबीसी से बात की और कहा, मैं यहां से जा रही हूं। कभी भी वापस नहीं आऊंगी।

Asianet News Hindi | Published : Aug 26, 2021 11:22 AM IST

काबुल. किसी भी देश को लोकतांत्रिक बनाए रखने में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है। लेकिन जहां पर रिपोर्टिंग के दौरान ही पत्रकार पर गन तान दी जाए। महिला पत्रकार कहे कि तालिबान को पता है कि मैं कौन हूं। उन्होंने अगर मुझे खोज लिया तो मार डालेंगे। सोचिए। ऐसे देश का क्या होगा? ऐसे अफगानिस्तान का क्या होगा? ऐसे में इस देश के भविष्य की कल्पना करना मुश्किल काम नहीं है।  

"मैं अफगानिस्तान वापस कभी नहीं आऊंगी"
काबुल एयरपोर्ट पर वाहिदा फैजी नाम की पत्रकार ने अपना डर बतााय। उन्होंने बीबीसी से बात की और कहा, मैं यहां से जा रही हूं। कभी भी वापस नहीं आऊंगी। मैं अपने देश से प्यार करती हूं, लेकिन मैं यहां नहीं रह सकती। तालिबान शासन से बचने की कोशिश में हर दिन हजारों अफगान काबुल एयरपोर्ट पर कांटेदार दरवाजे के बाहर खड़े हैं। 

वहीदा फैज़ी ने कहा, वे जानते हैं कि मैं कौन हूं और मैं क्या करती हूं। वे मुझे मार डालेंगे। मैं कभी भी अफगानिस्तान नहीं लौटूंगी। अगर वे मुझे ढूंढ लेंगे तो मुझे मार डालेंगे। मुझे पता है कि वे मुझे मार डालेंगे।

गरीबी बेरोजगारी दिखाने वाला पत्रकार पिटा
टोलो न्यूज में काम करने वाले एक अफगान रिपोर्टर जियार याद और उनके कैमरामैन को काबुल में तालिबान ने पिटा। उस वक्त ने शहर में घूमकर लोगों का हाल जान रहे थे। रिपोर्टिंग कर रहे थे। टोलो न्यूज ने बताया कि जियार याद और उनके कैमरामैन को तालिबान लड़ाकों ने पीटा था। उनके रिपोर्टर काबुल में गरीबी और बेरोजगारी के स्थानीय मुद्दों के बारे में रिपोर्ट कर रहे थे।

रिपोर्टर जियार याद ने खुद ट्वीट कर बताया,  काबुल के न्यू सिटी में तालिबान ने मुझे पीटा। मेरा मोबाइल फोन भी छीन लिया। कुछ लोगों ने मेरी मौत की खबर कुछ लोगों ने फैलाई है जो झूठी है।  

कई पत्रकारों की हो चुकी है मौत 
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद कई पत्रकारों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई स्थानीय पत्रकार भी शामिल हैं। जुलाई में तालिबान ने भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी थी। 

तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद से पिछले कुछ हफ्तों में पत्रकारों और उनके रिश्तेदारों के घरों पर छापेमारी की है। तालिबान ने जर्मन मीडिया संगठन डॉयचे वेले (DW) के लिए काम करने वाले एक रिपोर्टर के परिवार के एक सदस्य की भी हत्या कर दी है।

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