अमिताभ बच्चन की टीवी रिएलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के सीजन 11 का हाल में कर्मवीर 45वां एपिसोड टेलिकास्ट किया गया। शो में समाज सेविका सुनीता कृष्णन ने दस्तक दी। सुनीता ने कई सारी बच्चियों और महिलाओं को यौन तस्करी से मुक्त कराया।
मुंबई. अमिताभ बच्चन की टीवी रिएलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के सीजन 11 का हाल में कर्मवीर 45वां एपिसोड टेलिकास्ट किया गया। शो में समाज सेविका सुनीता कृष्णन ने दस्तक दी। सुनीता ने कई सारी बच्चियों और महिलाओं को यौन तस्करी से मुक्त कराया। सुनीता ने शो में बिग बी के साथ शेयर किया कि वे इस टास्क को कैसे अंजाम देती हैं। साथ ही इस दौरान तमाम तरह की सामना करने वाली दिक्क्तों के बारे में बताया।
रेस्क्यू का काम काफी रिस्की होता है: कंटेस्टेंट
सुनीता ने बताया कि रेस्क्यू का काम बहुत स्पेशिएलाइज्ड होता है। इसमें उनकी मदद पुलिस भी करती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए सिर्फ दमखम ही नहीं चाहिए बल्कि शार्प माइंड भी होना चाहिए। रेस्क्यू का काम काफी रिस्की होता है। सब कुछ प्रेजेंस ऑफ माइंड पर निर्भर करता है। कई वैश्यालयों या ऐसी जगह पर जहां इस तरह के कामों को अंजाम दिया जा रहा है, सभी लड़कियों को निकालना बहुत मुश्किल होता है। सुनीता ने एक किस्सा शेयर करते हुए कहा कि कई बार लड़कियां हमारे साथ चलना नहीं चाहतीं क्योंकि ट्रैफिकर्स के पास लड़कियों की तस्वीरें और वीडियो होते थे।
13 साल की लड़की थी मां
सुनीता किस्सा आगे शेयर करते हुए कहती हैं कि एक रेस्क्यू के दौरान एक लड़की मिली, जो कि 13 साल की उम्र की मां थी। जब वे उसे लाने लगीं तो लड़की ने पलंग का एक सिरा पकड़ लिया और वो वहां से नहीं जाना चाहती थी। जब इस बारे में उससे पूछा गया तो पता चला कि ट्रैफिकर्स के पास उस लड़की का 6 महीने का बच्चा है। जब बच्चे को ढूंढा गया तो वाटर टैंक में मिला। बच्चे के बदन पर कई सारे निशान मिले। पीड़िता ने बताया कि अगर वे उनका कहना नहीं मानती है तो फिर उस 6 महीने के बच्चे को कुत्ते से कटवाया जाता है। ये सुनकर शो के होस्ट अमिताभ बच्चन समेत ऑडियंस चकित रह गई।
22000 से ज्यादा बच्चियों को दलदल से निकाला बाहर
सुनीता 22000 से भी ज्यादा बच्चियों को वैश्यावृति के दलदल से बाहर निकाल चुकी हैं। उन्होंने सभी को संदेश देते हुए कहा, 'जो भी लड़कियां यौन उत्पीड़न से पीड़त रही हैं उन्हें अपने मन में हीन भावना नहीं लानी चाहिए। उन्हें मजबूती से समाज के सामने खड़े होना चाहिए और ये सोचना चाहिए कि कैसे वे अपनी स्थिति को सुधार सकती हैं। साथ ही कैसे वे अपने इस आक्रोश को हथियार बनाकर यौन उत्पीड़न की शिकार हुईं महिलाओं की मदद कर सकती हैं।' सुनीता को उनके सराहनीय काम के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।