इस बार 11 मई, मंगलवार को वैशाख अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब मंगलवार और अमावस्या का योग बने तो उसे भौमावस्या कहते हैं। ये योग मंगल और पितृ दोष शांति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
उज्जैन. इस बार सूर्य और चंद्रमा एक साथ भरणी नक्षत्र में रहेंगे। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है, जिससे इस दिन पितरों के लिए किए गए श्राद्ध और पूजा से सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
अमावस्या कब से कब तक?
10 मई को रात करीब 10 बजे से वैशाख अमावस्या शुरू हो जाएगी, जो कि 11 मई को पूरे दिन और आधी रात यानी तकरीबन 12 बजे तक रहेगी। ऐसे में मंगलवार को ही स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए। इस बार वैशाख अमावस्या को लेकर पंचांग भेद नहीं है।
पितृ और मंगल दोष शांति के लिए ये उपाय करें…
1. वैशाख अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए। साथ ही जलदान भी करना चाहिए। ऐसा करने से स्वर्ण दान करने जितना पुण्य मिलता है और पितृ भी तृप्त होते हैं।
2. इस अमावस्या पर पितरों के लिए एक लोटे में पानी, कच्चा दूध और उसमें तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाना चाहिए और दीपक लगाना चाहिए। इस पर्व पर दीपदान करने से पितृ संतुष्ट होते हैं।
3. इस समय गर्मी का प्रकोप अधिक रहता है। इसलिए अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल, छाता, सूती वस्त्र आदि चीजें दान करनी चाहिए। किसी मंदिर में प्याऊ लगवा सकते हैं। किसी प्याऊ में मटके का दान कर सकते हैं।
4. मंगल दोष शांति के लिए इससे संबंधित चीजों का दान करना चाहिए जैसे- मसूर, गुड़, तांबा, गेहूं, लाल कपड़ा, रक्त चंदन आदि।
5. मंगल देव की पूजा करें। घर में मंगल यंत्र की स्थापना करें और मंगल के मंत्रों का जाप करने से भी मंगल दोष की शांति होती है।
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