96 साल की दादी ने घर में रहकर कोरोना को दी मात, इन छोटी-छोटी चीजों से जीती जिंदगी की जंग

96 साल की शांता भटनागर कहती हैं कि हमें तब तक कोई नहीं हरा सकता, जब तक हम खुद हार न मान लें। कोरोना से संक्रमित होने के बाद मैंने किसी भी तरह खुद पर नकारात्मक सोच को हावी नहीं होने दिया। दवाइयां भी लीं, साथ में मन-मस्तिष्क के लिए जरूरी सकारात्मक सोच की खुराक कभी नहीं छोड़ा। मैंने पहले दिन से ही निश्चय कर लिया था कि कोरोना को हराना ही है।  

Asianet News Hindi | Published : May 10, 2021 11:12 AM IST / Updated: May 10 2021, 04:46 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh) । कोरोना होने के बाद मरीज में घबड़ाहट भी बढ़ जाती है। ऐसे समय में हमें अपने अंदर पॉजिटिव सोच लानी चाहिए, क्योंकि देखा जा रहा है कि घबड़ाने वालों को ही ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हम आपको एक अच्छी खबर बता रहे हैं, जो जानकीपुरम निवासी 96 साल की शांता भटनागर की है, जिन्होंने घर में ही रहकर कोरोना से जंग जीत लिया है।

दादी के बारे में हर किसी को बता रहे कॉलोनी के लोग
जानकीपुरम निवासी शांता भटनागर के साथ उनकी सबसे छोटी बेटी मृदुला भटनागर रहती हैं। बाकी बेटे और बेटियां भी घर के आस-पास ही रहते हैं। 15 दिन पहले शांता भटनागर को पहले बुखार और फिर खांसी होने लगी। टेस्ट कराया तो रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इस दौरान उनकी छोटी बेटी मृदुला की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। दोनों होम आइसोलेशन में रहे। शांता का ऑक्सीजन लेवल 90 के नीचे आ गया, जिसके बाद भी वो घबड़ाई नहीं और कोरोना से जंग जीत गई। जिनके बारे में कोलोनी के लोग अपने परिचितों को भी बता रहे हैं।

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फोन पर चिकित्सक से संपर्क
केजीएमयू के डीपीएमआर में सीनियर प्रोस्थेटिस्ट एवं प्रभारी वर्कशॉप शगुन सिंह ने दादी की दवाइयों और डाइट की जिम्मेदारी संभाली। शगुन बताती हैं, हम दादी से मिल तो नहीं पा रहे थे, लेकिन मोबाइल हमारे बीच का बातचीत हो रही थी। 

दादी कहती हैं ये बातें
शांता भटनागर कहती हैं कि हमें तब तक कोई नहीं हरा सकता, जब तक हम खुद हार न मान लें। कोरोना से संक्रमित होने के बाद मैंने किसी भी तरह खुद पर नकारात्मक सोच को हावी नहीं होने दिया। दवाइयां भी लीं, साथ में मन-मस्तिष्क के लिए जरूरी सकारात्मक सोच की खुराक कभी नहीं छोड़ा। मैंने पहले दिन से ही निश्चय कर लिया था कि कोरोना को हराना ही है।  

दादी ने इन बातों का रखा ध्यान
-घर पर भी हमेशा मास्क पहनती थी। 
-जितनी बार बाथरूम जातीं, गर्म पानी से हाथ-पैर धोतीं।
-नियमित रूप से गरारा करतीं, भाप लेतीं। 
-ओम का उच्चारण करतीं। जितनी बार कफ आता, उसे निगलने की बजाए तुरंत थूक देतीं।
-अजवाइन पानी, नींबू पानी और तुलसी पत्ते का पानी नियमित तौर पर पीती।
- दलिया, मूंग की दाल, दाल का पानी, लौकी का जूस और दूध में सूजी डालकर पीती।
-अदरक और लहसून का पेस्ट खाने में मिलाकर लेती।

चिकित्सक को ओम और राधे-राधे का भेजती थी वाइस रिकॉर्ड
केजीएमयू के डीपीएमआर में सीनियर प्रोस्थेटिस्ट एवं प्रभारी वर्कशॉप शगुन सिंह कहती हैं कि दादी हमें ब्रीथिंग एक्सरसाइज के तौर पर ओम का उच्चारण और राधे-राधे का जाप व्वाइस रिकॉर्ड के जरिए भेजतीं। संक्रमित होने के बाद भी दादी ने खुद को पहले की तरह ही सक्रिय रखा। पहले की तरह ही वह सुबह पांच बजे उठ जातीं। गर्म पानी से स्नान करतीं। उन्हें कई बार बताना पड़ता, पर वह जैसा कहा जाता वैसा ही करती जातीं। जितनी बार कफ आता, वह उसे थूकने जातीं। दवाई भी दी, फिर धीरे-धीरे उनका बलगम निकल गया।

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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