आगरा: अयोध्या के भगवाधारी महंत परमहंस दास को ताज महल में नहीं मिली एंट्री, जानिए क्या है पूरा मामला

यूपी के जिले आगरा में तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास को ताज महल देखने के लिए एंट्री नहीं मिली। जिसपर उन्होंने नाराजगी जताई है और ताज महल को शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे। लेकिन कुछ नियमों के चलते उनको अनुमति नहीं दी गई। 

आगरा: उत्तर प्रदेश की ताज नगरी अगारा में अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास को मंगलवार को ताज महल देखने पहुंचे थे लेकिन उन्हे प्रवेश नहीं मिल सका। भगवाधारी महंत परमहंस दास ने ताजमहल का टिकट खरीदा और जैसे ही एंट्री गेट पर पहुंचे तो उन्हें सीआईएसएफ के जवानों ने उनको अंदर जाने से रोक दिया। तपस्वी छावनी उत्तराधिकारी ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया। जवानों के रोकने पर वह वापस चले आए। उन्होंने इस मामले में प्रवेश के नियमों को लेकर नाराजगी जताई।

दो शिष्यों के साथ पहुंचे थे मंहत परमहंस 
तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास अलीगढ़ में महिला भक्त को आशीर्वाद देने के बाद मंगलवार को आगरा आए थे। जिसके बाद वह ताजमहल देखने के लिए दो शिष्यों के साथ पहुंचे। पश्चिमी गेट पर शाम को 5.35 बजे वह पहुंचे तो सीआईएसएफ ने उन्हें ब्रह्मदंड अंदर ले जाने से रोक दिया। इस पर वह बेहद नाराज हुए। सुरक्षाकर्मियों ने उनसे कहा भी कि आपको वापसी में ब्रह्मदंड सौंप दिया जाएगा, लेकिन परमहंस दास ब्रह्मदंड के साथ ही अंदर  प्रवेश करना चाहते थे। 

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ताज महल का इतिहास गलत पढ़ाया जा रहा
जिसके बाद परमहंस दास ने वीडियो वायरल करके बताया कि जब वह एंट्री कर रहे थे तब वहां पर मौजूद स्टाफ ने उनको रोक दिया और कहा कि आप भगवा कपड़े पहने है इसलिए आपकी एंट्री नहीं होगी। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि विशेष महजब के लोगों को यहां ज्यादा महत्व दिया जाता है। परमहंस दास ने बताया कि ताजमहल का इतिहास गलत पढ़ाया जा रहा है। यह ताजमहल नहीं बल्कि भगवान शिव का मंदिर है और इसको तेजो महालय कहा जाता है। परमहंस दास के मुताबिक ताजमहल शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे। 

एएसआई ने कही यह बड़ी बात 
तो वहीं इस मामले में एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में प्रवेश के लिए नियम तय हैं। संत अपने साथ अंदर लोहे का दंड यानी ब्रह्मदंड ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें मना किया गया था। बाकी उनके प्रवेश पर कोई रोक नहीं थी। उनसे आग्रह किया गया था कि ब्रह्मदंड गेट पर छोड़ दे और वापसी पर ले लेंगे लेकिन वह तैयार नहीं हुए। बता दें कि ताजमहल के अंदर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। सप्ताह में सिर्फ शुक्रवार के दिन ही नमाज पढ़ी जाती है। 

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