Special Story: लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ जितने वाले कामरेड का कैसा था सियासी सफर

Published : Jan 22, 2022, 05:06 PM IST
Special  Story: लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ जितने वाले कामरेड का  कैसा था सियासी सफर

सार

उनको अगर लगता था कि उनके खिलाफ कही बातें उचित हैं तो वह उसे अमल करने का प्रयास करते। कामरेड पांडेय भले कम्युनिस्ट पार्टी से राजनैतिक स्तर पर सक्रिय रहे,लेकिन उनके चाहने वाले उनके नही रहने के बाद भी, अभी भी सभी दलों में मौजूद है।

एके सिंह
गाजीपुर:
देश के ऐसे कई नेता (Leaders) हुए हैं जो अपने जनाधार के बिनाह पर चुनावों (Election) में रिकॉर्ड बनाते रहें हैं। ऐसे ही नेता कामरेड सरजू पांडेय (comrade sarju pandey) थे। कामरेड पांडेय की औपचारिक शिक्षा (EDucation) मजह 8वीं क्लास (8th Class) तक थी। कामरेड सरजू ने 1957 के चुनावों में एक साथ लोकसभा (LOKSABHA) और विधानसभा (Assembley) का चुनाव में जीत हासिल करके उस दौर में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। यह वह दौर था जब कांग्रेस (Congress) पार्टी की हर तरह लहर थी। 

कई बार सांसद रहे 
सरजू पांडेय के साथ लंबे समय तक साथ रहे विचारक डॉ. पीएन सिंह (Dr  PN  Singh) अपनी पुस्तक गाजीपुर के गौरव बिंदु-राजनीतिक में लिखते  हैं कि सरजू पांडे 1957 के चुनाव में संसद और विधानसभा दोनों ही चुनाव एक साथ हुए। कामरेड पांडेय ने रसड़ा लोकसभा (rasda  loksabha) और मुहम्दाबाद विधानसभा ( muhamdabad  vidhansabha) से एक साथ नामांकन (nominetion) किया।  एक साथ दोनों सीटों पर चुने गए थे। कामरेड पांडेय की माली हालत चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देता था। उस दौर में उनकी पार्टी का संगठन भी व्यवस्थित रूप से काम करने वाला नहीं था। लेकिन कामरेड पांडेय के पास व्यापक जनाधार जरूर था। कामरेड पांडेय 1977 के चुनावों तक अपने जनाधार के आधार पर जीत हासिल करते रहे। वह उसके बाद सांसद (Member of parliament) नहीं बन पाए।

सभी दलों से मिली इज़्ज़त
कामरेड पांडेय को करीब से जानने वाले बताते है कि पार्टी के भीतर वह सही रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था (democratic system) लागू करने की सोच रखने वाले नेताओं में से एक रहें। वह अपने खिलाफ कही बातों से विचलित नहीं होते थे। उनको अगर लगता था कि उनके खिलाफ कही बातें उचित हैं तो वह उसे अमल करने का प्रयास करते। कामरेड पांडेय भले कम्युनिस्ट पार्टी से राजनैतिक स्तर पर सक्रिय रहे,लेकिन उनके चाहने वाले उनके नही रहने के बाद भी, अभी भी सभी दलों में मौजूद है।

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