योगी मंत्रिमंडल 2.0 में जगह न मिलने के तुरंत बाद अतुल गर्ग ने लखनऊ स्थित आवास खाली कर दिया है। गाजियाबाद सीट से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए अतुल गर्ग के दोबारा मंत्री बनाने के कयास अतुल गर्ग के साथ-साथ उनके समर्थकों को भी उम्मीद थी। योगी कैबिनेट में जगह न मिलने के पर अतुल गर्ग ने आवास खाली करने के साथ-साथ सुरक्षा भी लौटा दी है।
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया है। नए मंत्री परिषद के गठन में कई नए नाम सामने आए तो वहीं दूसरी ओर पुराने नामों की छुट्टी हो गई। कैबिनेट में जगह न मिलने के बाद अतुल गर्ग ने लखनऊ स्थित अपना आवास खाली कर दिया है। साथ ही एसएसपी पवन कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी सुरक्षा भी लौटा दी। फिलहाल उनके पास दो सुरक्षाकर्मी हैं, जबकि पहले छह जवान रहते थे। राज्य के जिले गाजियाबाद सीट से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए अतुल गर्ग के दोबारा मंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे थे। उनके साथ समर्थकों को भी पूरी उम्मीद थी कि पहले भी बड़ी जीत दर्ज करने के कारण मंत्री पद पक्का है।
2017 में सराकार बनते ही बनाया गया था राज्यमंत्री
अतुल गर्ग जैसे कई ऐसे मंत्री है जिनको कैबिनेट में जगह नहीं मिली। मंत्री बनने की रेस में साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा का भी नाम चल रहा था कि उनको भी योगी सरकार 2.0 की कैबिनेट में उनको जगह मिलेगी। लेकिन दोनों विधायकों को मायूसी मिली। अतुल गर्ग को 2017 में सराकार बनते ही राज्यमंत्री बनाया गया था। इसलिए उन्हें चार पुलिसकर्मियों के साथ एक एस्कार्ट वाहन दिया गया था। इसके अलावा दो पुलिसकर्मी उनके साथ रहते थे। लखनऊ से गाजियाबाद लौटने पर अतुल गर्ग ने दो टूक कहा कि जनता ने मोदी-योगी के नाम पर वोट दिया है। किसी प्रत्याशी को वोट नहीं मिले। इसके साथ ही उन्होंने मंत्री पद न मिलने को लेकर कहा कि यह संगठन का फैसला है, जिसका वह पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
भाजपा में काम करने पर नरेंद्र कश्यप को मिला तोहफा
योगी मंत्रिमंडल 2.0 के गठन में हर वर्ग को साधने के साथ ही कर्मठ कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान दिया गया है। इसका असर है कि जिले के पांच विधानसभा सीटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे विधायकों के हाथ बेशक निराशा लगी हो। लेकिन पांच साल से भारतीय जनता पार्टी में काम करने को आखिरकार नरेंद्र कश्यप को तोहफा मिल चुका है। शुक्रवार को उन्होंने भी लखनऊ में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर जैसे ही शपथ ली, वैसे ही गाजियाबाद के लोगों के चेहरे खिल उठे। आपको बता दें कि कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के नजदीकी विधायकों में आते थे। 2017 में बसपा छोड़क भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए जमीनी काम किया है।
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