अयोध्या में होगी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, राम मंदिर निर्माण शुरू करने की तैयारी; 21 जनवरी को घोषणा

प्रयागराज में 21 जनवरी को होने वाले संत सम्मेलन में देशभ से साधु-महात्मा बुलाए गए हैं। इनमें दो हजार बड़े संत-महात्मा को आमंत्रण भी भेज दिया गया है। इनमें ज्यादातर ने यहां आने की सहमति प्रदान कर दी है। ज्यादातर संत-महात्मा 20 जनवरी को ही आ जाएंगे, जिनके ठहरने की व्यवस्था कराई जा रही है।

Ankur Shukla | Published : Jan 19, 2020 6:42 AM IST / Updated: Jan 19 2020, 12:26 PM IST

प्रयागराज (Uttar Pradesh)। अयोध्या में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाई जाएगी। यह मूर्ति भगवान श्रीराम की होगी, जो 215 मीटर ऊंची की होगी। इस विशालकाय मूर्ति को स्थापित करने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि 20 जनवरी को केंद्रीय मार्गदर्शन मंडल की होने वाली बैठक में मंदिर निर्माण की भी तारीख तय हो जाएगी, जिसे अगले दिन होने वाले देश भर के संत सम्मेलन में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। इसी दिन राम मंदिर निर्माण की तारीख सार्वजनिक की जाएगी।

फरवरी में ट्रस्ट गठन की संभावना
जानकारों को उम्मीद है कि फरवरी में ट्रस्ट गठन के साथ ही मूर्ति का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। गुजरात में सरदार पटेल की 183 मीटर ऊंची प्रतिमा तैयार करने वाले नोएडा के मूर्तिकार राम सुतार को ही भगवान श्रीराम की मूर्ति के निर्माण का जिम्मा प्रदेश सरकार ने सौंपा है। 

बुलाए गए है देशभर से संत-महात्मा
प्रयागराज में 21 जनवरी को होने वाले संत सम्मेलन में देशभ से साधु-महात्मा बुलाए गए हैं। इनमें दो हजार बड़े संत-महात्मा को आमंत्रण भी भेज दिया गया है। इनमें ज्यादातर ने यहां आने की सहमति प्रदान कर दी है। ज्यादातर संत-महात्मा 20 जनवरी को ही आ जाएंगे, जिनके ठहरने की व्यवस्था कराई जा रही है।

447 करोड़ रुपये का बजट आवंटित
पिछले दिनों ही प्रदेश सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 447 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया है। इस राशि से 61 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। यह राशि निर्माण के लिए तकनीकी अध्ययन करने के लिए स्वीकृत 200 करोड़ रुपये के अलावा है।

मॉडल के आधार पर मंदिर के निर्माण पर होगा जोर

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने के मॉडल को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा गया है। इसे विहिप ने सीतापुर के कलाकारों से तैयार कराया है। अनावरण के समय विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा था कि जिस मॉडल को 1989 में कुंभ के दौरान प्रयाग में रखा गया था, उसी मॉडल का यह स्वरूप है। इसी मॉडल के आधार पर भव्य मंदिर का निर्माण होना है। उसे परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उसके पत्थर 20 वर्ष से तराश कर तैयार किए गए हैं।

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