Special Story: सपा का किला रहे मुरादाबाद में आसान नहीं भाजपा की राह, 'केशव कार्ड' से फायदे की बड़ी उम्मीद!

इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पीतल नगरी के नाम से विख्यात मुरादाबाद में विधानसभा की छह सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। सपा के इस किले को ध्वस्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव प्रचार के लिए भेजा है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2022 11:55 AM IST

दिव्या गौरव

लखनऊ: पीतल नगरी के नाम से अपनी खास पहचान रखने वाले मुरादाबाद में ध्रुवीकरण की राजनीति को हमेशा से तरजीह मिलती रही है। मुरादाबाद में विधानसभा की छह सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावना है। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मुरादाबाद में 14 फरवरी को वोट डाले जायेंगे। सपा के इस किले को ध्वस्त करने के लिए भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले अपना ट्रंप कार्ड चलते हुए केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव प्रचार के लिए भेजा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी के इस कदम से मुरादाबाद में फायदा देखने को मिल सकता है।

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वरिष्ठ पत्रकार रूपेश मिश्रा के मुताबिक, '2012 के चुनाव में सपा ने मुरादाबाद जिले की छह सीटों में से चार में जीत का परचम लहराया था जबकि 2017 में मोदी लहर के बावजूद यहां सपा ने चार सीटें जीत कर अपनी मजबूती का अहसास कराया था। भाजपा ने 15 साल के बाद मुरादाबाद सदर तथा कांठ पर विजय हासिल की थी।' उन्होंने कहा, 'लेकिन इसबार का माहौल बीजेपी के लिए और भी फीका लग रहा था। हालांकि मतदान के ऐन पहले केशव को प्रचार के लिए उतारकर भाजपा ने अपना ट्रंप कार्ड चल दिया है।'

केशव की छवि का भाजपा को मिलेगा फायदा
मिश्रा के मुताबिक, भाजपा की लहर में बीते चुनाव में दो सीटें पार्टी की झोली में गई थीं, हालांकि अब माहौल बदला सा दिख रहा था। उन्होंने कहा, 'इस माहौल में बीजेपी के पास केशव के पास कोई भी ऐसा निर्विवादित नेता नहीं है जो उस इलाके में पार्टी को मजबूत बनाए। केशव प्रसाद मौर्य की गैरसांप्रदायिक छवि का पार्टी को पूरा फायदा मिल सकता है। इसीलिए भाजपा ने चुनाव के ठीक पहले केशव को चुनावी रण में उतार दिया।'

यह है मुरादाबाद का चुनावी गणित
आपको बता दें कि जिले की मुरादाबाद नगर, मुरादाबाद देहात, कांठ, बिलारी, ठाकुरद्वारा तथा कुंदरकी समेत छह विधानसभाओं में कुल मतदाताओं की संख्या 15,99,891 है, जिसमें 857792 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 741933 है। 66 प्रत्याशी छह सीटों पर ताल ठोक रहे हैं। मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा खुद को सुरक्षित मानकर चल रही है मगर बदले परिदृश्य में भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चुनावी दौड़ में सपा को टक्कर देने के कोशिश में हैं।

पहले चरण के चुनाव के बाद के ट्रेंड के हिसाब से आगे की लड़ाई में यहां और भी घमासान मचने वाला है। इस चुनाव में हिजाब भी है तो गमछा भी है। औरंगजेब, जिन्ना, काशी, मथुरा सब कुछ शामिल हो रहा है। मुरादाबाद में कांग्रेस, बसपा समेत चार मुख्य पार्टी बेशक लड़ रही हों, मगर मुख्य मुकाबला तो सपा और भाजपा के बीच होता दिख रहा है। चौदह फरवरी को दूसरे फेज के चुनाव में मजहबी ध्रुवीकरण का तोड़ किसी पार्टी के पास नहीं है। रैलियों में नेता अपनी कह रहे हैं, राष्ट्रवाद, ध्रुवीकरण मुद्दों का शोर और जातियां सभी कुछ तो प्रयोग किए जा रहे हैं। मतदाता भी उनको परख रहे हैं।

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