अयोध्या के प्रमोदवन इलाके में स्थित है 9 गजी पीर की दरगाह। यह रुहानी दरगाह हजरत नूह अलैहिस्लाम की है। इस दरगाह में हिन्दू और मुस्लिम दोनों अपनी मन्नत लेकर आते हैं
अयोध्या(Uttar Pradesh ). अयोध्या को यूं ही नहीं हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए जाना जाता है। अयोध्या में ऐसे कई उदाहरण है जिसे जानने के बाद ये बात प्रमाणित हो जाती है। अयोध्या के प्रमोदवन इलाके में स्थित है 9 गजी पीर की दरगाह। यह रुहानी दरगाह हजरत नूह अलैहिस्लाम की है। इस दरगाह में हिन्दू और मुस्लिम दोनों अपनी मन्नत लेकर आते हैं। यहां के बारे में ये बात प्रचलित है कि हजरत नूह अलैहिस्लाम की लम्बाई 9 गज थी ,इसीलिए इसका नाम गजी पीर की दरगाह है। पूरे विश्व में इस तरह की दूसरी मजार कहीं भी नहीं है।
अयोध्या के ऐतिहासिक हनुमानगढ़ी के पास ही प्रमोदवन में स्थित ये रुहानी दरगाह हजरत नूह अलैहिस्लाम की है। इस दरगाह को नौगजी पीर की दरगाह या नौगजी मजार के नाम से भी जाना जाता है। पूरे विश्व में अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद के लिए भले ही सुर्ख़ियों में रहा हो लेकिन इस दरगाह में हिंदू भी मुस्लिम के बराबर ही जियारत के लिए आते हैं।
इस्लाम धर्म में है उल्लेख
सनातन धर्म में जीवन की शुरुआत मनु व सतरूपा से मानी गयी है। लेकिन इस्लाम में नूह की कश्ती का उल्लेख आता है। हजरत नूह को परमेश्वर का प्रमुख संदेशवाहक व पूर्वज माना गया है। दरगाह हजरत नूह अलैहिस्लाम दरगाह के मौलवी मो. उमर के मुताबिक़ यहां उसी कश्ती के टुकड़े के साथ हजरत नूह के आने की बात बताई गयी है। हांलाकि इसका कोई किताबी साक्ष्य नहीं है। लोग मानते हैं वे आदम के पुत्र नूह इब्राहिम के बेटे थे।
बाबरी विध्वंस के समय हिन्दुओं ने की थी रक्षा
इस मंदिर के पास ही रहने वाले मो. महताब के मुताबिक 1992 में जब बाबरी विध्वंस काण्ड हुआ था तो इस जियारतगाह की रक्षा के लिए सैकड़ों हिन्दू इकट्ठा हो गए थे। कई साधु व स्थानीय दुकानदार इसको बचाने के लिए एकत्र हो गए थे। वो पाने प्रयास में सफल भी रहे। इस मजार पर रोजाना सैड़कों हिन्दू आते रहते हैं। महताब के मुताबिक़ यहां आने वाले लोगों में मुस्लिमो से ज्यादा संख्या हिन्दुओं की है।
चारों तरफ से ऐतिहासिक मंदिरों के बीच है मजार
नौगजी पीर की दरगाह के चारों ओर ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है। सामने हनुमानगढ़ी व गुरुद्वारा नजरबाद का गुंबद दिखता है, तो अगल-बगल व पीछे रमारमण भवन, अमौना मंदिर, कौशल किशोर भवन से आरती व घंडियों की आवाज सुनाई देती है। इन सब के बीच यहां हिन्दुओं और मुस्लिमो की इबादत चलती रहती है।
कष्टों से मुक्ति दिलाती है मजार की जियारत
मजार पर जियारत करने आए सतीश केसरवानी का कहना था कि वह रोजाना यहां आते हैं। उन्होंने बताया कि वह सुबह स्नान के बाद पहले हनुमान गढ़ी जाते हैं उसके बाद नौगजी मजार पर आते हैं। ये उनकी रोज की दिनचर्या है। वहीं मजार के पास बैठी शहजाद ने बताया कि उसके शरीर में कई स्थानों पर बरबस ही सड़न हो जा रही थी। कई जगह इलाज करवाया लेकिन ठीक नहीं हुआ। जब से वह इस मजार पर आने लगा है इसे काफी आराम है।