वाराणसी में मरीज को बेहोश किए बिना ही सफलतापूर्वक की गई ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी, डॉक्टरों ने बताई ये वजह

यूपी की काशी विश्वनाथ नगरी में स्थिति अस्पताल ने अनोखी सर्जरी की है। दरअसल अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज को बिना बेहोश किए बिना ही ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी को सफलतापूर्वक की है। इस तरह की सुविधा राज्य के कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 28, 2022 3:53 AM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश की विश्वनाथ नगरी काशी में डॉक्टरों के द्वारा एक अनोखी सर्जरी की है। यह कारनामा शहर के महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के चिकित्सकों ने किया है। इसमें मरीज को बेहोश किए बिना ही उसके ब्रेन को ट्यूमर को निकाला गया है। शहर में स्थिति इस अस्पताल की इस तरह की पहली सर्जरी है। इतना ही नहीं सर्जरी के बाद से मरीज की स्तिथि भी बिल्कुल ठीक है और उसको जल्द ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी जाएगी। एमपीएमएमसीसी के डॉक्टरों ने बताया कि शल्य चिकित्सा की भाषा में इस तरह की सर्जरी को अवेक क्रेनियोटोमी कहा जाता है यानी  साधाराण शब्दों में इसका मतलब है कि सचेत अवस्था में ब्रेन सर्जरी को अंजाम देना।

सर्जरी के दौरान डॉक्टरों के समझने थी ये बात
अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रो. डॉ. शुभी दुबे ने बताया कि कुछ दिनों पहले हॉस्पिटल में 25 वर्षीय एक मरीज आया था। उसकी जांच होने के बाद ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई थी। इतना ही नहीं यह ट्यूमर ब्रेन के ऐसे हिस्से में था कि उसको निकालने के लिए मरीज को सचेत अवस्था में रखना बेहद जरूरी था। पर बिना सचेत अवस्था में किए इस सर्जरी को पूरा किया गया। इस तहर की सर्जरी एमपीएमएमसीसी में पहली बार की गई है। मरीज की सभी जरूरी जांच के बाद बुधवार को सर्जरी की गई। करीब 1.30 घंटे तक चली इस सर्जरी के दौरान मरीज से बीच-बीच में टीम बातचीत भी कर रही था ताकि समझा जा सके कि ट्यूमर निकालने की प्रक्रिया के दौरान मरीज को किसी तरह की क्षति न हुई हो। लेकिन मरीज को सर्जरी के समय दर्द न हो इसलिए सिर के हिस्से में लोकल एनेस्थीसिया दिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की सर्जरी की सुविधा यूपी के कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है।

मरीज को इस वजह से नहीं किया गया था बेहोश
डॉ. शुभी ने बताया कि मरीज के ब्रेन के जिस हिस्से में ट्यूमर था उसके पास ही मरीज के बातचीत समझने, हाथ पांव के ताकत, महसूस करने और गणितीय क्षमता का केंद्र था। सर्जरी के दौरान यह सुनिश्चित करना था कि ब्रेन के इन हिस्सों पर कोई असर न पड़े। उन्होंने आगे बताया कि अगर मरीज को बेहोश करके सर्जरी को करते तो इन सेंटर्स पर पड़ने वाला असर का एहसास हमें नहीं होता और संभवत: जीवनभर के लिए मरीज के समझने-सोचने की क्षमता में कमी हो सकती थी। सिर्फ यही कारण था कि हमने अवेक क्रेनियोटोमी करने का फैसला किया।

अस्पताल के निदेशक ने टीम को दी बधाई
वहीं दूसरी ओर एमपीएमएमसीसी अस्पताल के निदेशक डॉ सत्यजीत प्रधान ने इस उपलब्धि पर  सर्जरी के दौरान शामिल एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रो. मोनोतोष प्रमाणिक, न्यूरो सर्जरी विभाग की डॉ. शुभी दुबे सहित पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में आने वाले सभी कैंसर मरीज को आधुनिक और गुणवत्तापरक इलाज सुनिश्चित हो यह हम सभी की जिम्मेदारी है। आगे कहते है कि पिछले कुछ महीनों में कैंसर मरीजों के लिए कई नई तरह की सुविधाओं की शुरुआत हुई है और यह प्रक्रिया आने वाले समय भी होती रहेगी।

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