आजम खान के बहाने सपा पर निशाना साध रही बसपा, इमरान मसूद ने की मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश

यूपी के संभल में बसपा के सम्मेलन में पहुंचे इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला है। इमरान मसूद ने आजम खान का राजनीतिक करियर बर्बाद करने का जिम्मेदार अखिलेश यादव को ठहराया है। बसपा मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2022 11:13 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती ने अक्टूबर में इमरान मसूद को पार्टी में शामिल किया था। बता दें कि इससे पहले इमरान मसूद कांग्रेस और सपा में रह चुके हैं। बसपा में शामिल होने के बाद मसूद को पश्चिम यूपी की कमान सौंप दी गई थी। उस दौरान ये कयास लगाए जा रहे थे कि बसपा पार्टी अपनी राजनीतिक रणनीति बदल रही है। माना जा रहा था कि इमरान मसूद के जरिए मुस्लिम वोटरों पर फोकस कर सकती है। जब सपा से अल्पसंख्यक समुदाय के नाराज होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इमरान मसूद ने आजम खान को निशाना बना कर सपा पर जमकर हमला बोला है। 

अखिलेश यादव पर बोला हमला
इमरान मसूद ने अखिलेश यादव पर हमलावर होते हुए कहा है कि आजम खान का सियासी सफर बर्बाद करने में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का हाथ है। मायावती के दूत बने इमरान मसूद ने मुस्लिमों में भी यह संदेश देना शुरूकर दिया है। बता दें कि यूपी के संभल में बसपा के सम्मेलन में पहुंचे इमरान मसूद ने सपा प्रमुख पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आजम खान पर हो रहे जुल्म के जिम्मेदार अखिलेश यादव हैं। इमरान मसूद ने कहा कि अखिलेश यादव को अपनी जाति के लोगों का भी वोट भी नहीं मिला। इसलिए अधिकतर सीटों पर उनकी हार हुई है।

बसपा का दामन थामने की बताई वजह
इसके अलावा मसूद ने कहा कि मुस्लिम वोटरों के जरिए ही अखिलेश यादव को सफलता मिली है। इस दौरान इमरान मसूद ने सपा के हाथों से मुस्लिम वोटरों को छीनने का प्रयास करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से नफरत के नाम पर कब तक मुस्लिमों का इस्तेमाल किया जाएगा। मसूद ने आगे कहा कि मुस्लिम वोट लेकर सियासत करने वाले, हमसे गुलामों की तरह पेश आने वाले लोगों की बातों में न आएं। उन्होंने सपा छोड़कर बसपा का दामन थामने की वजह भी बताई। 

मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश
इमरान मसूद ने कहा कि अखिलेश यादव अपनों के ही काम नहीं आ रहे थे। इसलिए वह सपा छोड़कर बसपा में आ गए। बता दें कि वर्ष 2007 में जीत मिलने के बाद मायावती ने ब्राह्मण नेताओं को महत्व दिया था। मायावती ब्राह्मणों और दलितों को एक साथ लाकर सत्ता की कुंजी हासिल करने की कोशिश में थीं। लेकिन इस कोशिश के दौरान वह मुस्लिम वोटरों से दूर होती दिखाई दी। अब जब बसपा अपने सबसे बुरे दौर में है तो एक बार फिर अपनी रणनीति बदली है। इस बार बसपा ब्राह्मण, दलित के अलावा मुस्लिमों को भी अपनी पार्टी में लाने की जुगत में है। 

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