
अनुज तिवारी
वाराणसी: उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में भले ही कोरोना संक्रमण के मामले में गिरावट दर्ज की जा रही है। लेकिन देश में संक्रमण का खतरा भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कई राज्यों में संक्रमण घटने के साथ ही प्रतिबंध को हटा दिया है। 18 मार्च को देश भर में होली मनाई जाएगी। 2 साल बाद देश में बड़े धूमधाम से होली का उत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि होली से ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा लेकिन बचाव जरूरी है क्योंकि खतरा अभी पूरी तरह से खत्म हुआ नहीं है।
विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय
बीएचयू के वैज्ञानिक ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि मौजूदा समय में लगभग 90% लोगों में एंटीबॉडी मौजूद है। जिसके चलते कोरोना का खतरा न के बराबर है। लेकिन फिर भी लोगों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए और खुले में ही होली खेलनी चाहिए। वहीं डॉक्टर चौबे ने बताया कि लगभग सभी लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है। साथ ही साथ कुछ लोगों को बूस्टर डोज भी लग गया हैं ।
कॉर्डियोलॉजिस्ट प्रो. ओम शंकर ने बताया कि मौजूदा समय में कोरोना के मामले कम हुए हैं। लेकिन अभी भी चीन के दो शहरों में अभी-अभी प्रतिबंध लगाया गया है। स्वास्थ्य संगठन ने भी अभी तक यह घोषणा नहीं की है कि कोरोना पूरी तरह से समाप्त हो गया है। प्रोफेसर ओम शंकर ने कहा कि लोगों को हर्बल रंग का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि आजकल रंगों में भी कई केमिकल होते हैं। लोगों को उसे बचना चाहिए और खुले मैदान में होली जैसे आयोजन करने चाहिए और लोगों को माक्स का भी प्रयोग करना चाहिए ।
मार्च 2020 में कोरोना ने पकड़ी थी रफ्तार
पूरे भारत में मार्च 2020 होली के ठीक बाद स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए थे और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी रोक लग गई थी। लगभग दो साल गुजर गये हैं। इस बार फिर होली आने वाली है। लेकिन इस बार कोरोना का प्रकोप बीते सालों की अपेक्षा न के बराबर है। वैज्ञानिक भी दावे कर रहे हैं कि होली में कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा न के बराबर है। वजह साफ है।
सरकार द्वारा व्यापक तौर पर वैक्सीनेशन करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। मौजूदा समय में देश के लगभग सभी वर्ग के लोगों ने वैक्सीनेशन करा लिया हैं। लेकिन फिर भी कुछ वैज्ञानिकों ने बताया है कि जागरूक रहने की जरूरत अभी भी हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार होली ज्यादा से ज्यादा खुले मैदान में मनाए बंद कमरों में होली का आयोजन न करें।
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