अयोध्या में तपस्वी छापनी के महंत को लेकर विवाद अब न्यायालय की चौखट तक पहुंच चुका है। गद्दी के असली हकदार को लेकर जंग जारी है।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: हाई प्रोफाइल तपस्वी छावनी के महंती का विवाद अब न्यायालय की चौखट पर पंहुच गया है। पिछले दिनों मंहत सर्वेश्वर दास के निधन के बाद से ही गद्दीनशीन होने की जंग शुरू हो गई थी। मामले में तीन संत खुल कर अपने को प्रमुख दावेदार बता कर मैदान में खम ठोकते देखे गए। दावेदारी के इस अखाड़े में अयोध्या के प्रमुख संतो ने गुटों में बंट कर मोर्चा संभाल लिया। मामला कोई हिंसक रूप न ले इसलिए सभी पक्षों के संतो की एक बैठक रामकथा संग्रहालय में जिला प्रशासन ने बुलाई। बैठक में डीएम और एसएसपी सहित संत- महंत उपस्थित थे। इससे पहले जिला प्रशासन ने अयोध्या के प्रमुख जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके मन को भी टटोला। जिसमे सभी जनप्रतिनिधियों ने नियम कानून से हल निकालने की बात कही।
न्यायालय का फैसला आने तक यथा स्थिति बनाए रखने की बात
गर्मा -गर्मी के बीच संतों ने सर्वमान्य हल निकाला कि न्यायालय जिसे तय करेगा उसे तपस्वी छावनी की गद्दी सौप दी जाएगी। तभी महंती समारोह आयोजित होगा। तब तक मंदिर में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी ।13 वीं का भंडारा 12 तारीख को है। जिसमे 200 स्थानीय संत -महंत शामिल होने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी है। इस भंडारे में सभी दावेदार संत सामूहिक रूप से योगदान देंगे। इसके बाद महंत का फैसला आने के बाद बृहद भंडारे की अनुमति दी जाएगी।
इन संतो ने महंत पद पाने के लिए की है दावेदारी ,सबके अपने -अपने तर्क
तीन दावेदार हैं। जिसमे तपस्वीपरिवराचार्य पीठ तपस्वी जी की छावनी की सभा ने जगन्नाथ मंदिर जमालपुर दरवाजा अहमदाबाद के महंत दिलीप दास को उत्तराधिकारी घोषित किया है । तपस्वी छावनी से ही अपने आंदोलनो के माध्यम से मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाले परमहंसाचार्य (परमहंस दास) को पहले ही गद्दी का महंत बनाया जा चुका है ये उनका दावा है। इसके बाद औलिया बाबा हैं। जो सभी पक्षों के दावे को हवा हवाई बता रहें हैं। इनका कहना 2013 से तपस्वी छावनी के महंत के रूप में सभी परिसंपत्तियों के वे ही मालिक हैैं।