EXCLUSIVE-उन्नाव रेप पीड़िता एक्सीडेंट मामलाः इन 5 सवाल से बैकफुट पर सरकार

उन्नाव रेप केस की पीड़िता का रविवार को रायबरेली में एक्सीडेंट हो गया जिसमें उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई जबकि पीड़िता और उसका वकील लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है। सोमवार को हुई छानबीन और अधिकारियों के बयानों को देखते हुए कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं आखिर क्यों इस हादसे पर सरकार बैकफुट पर है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 30, 2019 4:33 AM IST / Updated: Jul 30 2019, 11:00 AM IST

लखनऊ. उन्नाव रेप केस की पीड़िता का रविवार को रायबरेली में एक्सीडेंट हो गया जिसमें उसकी चाची और मौसी की मौत हो गयी जबकि पीड़िता और उसका वकील लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है। सोमवार को हुई छानबीन और अधिकारियों के बयानों को देखते हुए कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं आखिर क्यों इस हादसे पर सरकार बैकफुट पर है। 

पहला सवाल: ट्रक की नम्बर प्लेट पर लगी ग्रीस पर अलग-अलग बयान क्यों?

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जिस ट्रक (यूपी-71-एटी- 8300) ने पीड़िता की गाड़ी को टक्कर मारी उसकी नम्बर प्लेट पर ग्रीस लगाकर उसे छुपाया गया था। सोमवार सुबह अधिकारियों का बयान आया कि ई चालान से बचने के लिए ट्रक ड्राइवर और मालिक ने ऐसा किया लेकिन दोपहर होते होते एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने कहा कि ट्रक फाइनेंस पर था जिसकी किश्त मालिक नही जमा कर पा रहा था। बैंक गाड़ी खींच न ले इसलिए ऐसा किया। 

दूसरा सवाल-आखिर रॉन्ग साइड कैसे आया ट्रक ?

रायबरेली में जहां हादसा हुआ वहां प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ट्रक रॉंग साइड से आकर कार से टकराया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिस समय हादसा हुआ उस समय तेज बारिश हो रही थी और ट्रक ओवरस्पीड था। फिर भी जांच की जा रही है।

तीसरा सवाल- साथ मे सुरक्षाकर्मी नहीं मिले तो उनपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?

पीड़िता को सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन मौके पर सुरक्षाकर्मी नही मिले। सुरक्षाकर्मियों और पीड़िता के परिवार का कहना है कि किन्ही कारणोंवश वह साथ नही जा पाए। सवाल उठता है कि जब सुरक्षाकर्मी साथ नही गए तो क्या उन्होंने अधिकारियो को इस बाबत कोई जानकारी दी कि पीड़िता बिना सुरक्षा निकली है। 

चौथा सवाल- ट्रक मालिक सपा नेता और विधायक भी थे कभी सपाई, क्या कहता है ये कनेक्शन ?

हादसे में शामिक ट्रक  फतेहपुर के सपा नेता नंदू पाल के बड़े भाई देवेंद्र पाल का है। विधायक कुलदीप सेंगर भी कभी सपाई थे। यह सब कनेक्शन कहीं न कहीं साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। 

पांचवा सवाल- पीड़ित परिवार को पहले भी केस वापस करने के लिए धमकाया गया था, तब घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों के सामने यह सब हुआ। उस मामले का उच्च अधिकारीयों ने संज्ञान क्यों नहीं लिया?

पीड़िता के परिवार ने बताया कि हमे सुरक्षकर्मियों के सामने ही माखी गांव वाले घर पर धमकी दी गयी थी। सवाल यह है कि इस सूचना के बाद भी उच्चाधिकारियों की आंख क्यों नहीं खुली। आखिर उन उपद्रवियों पर क्या कार्यवाई हई इसका जवाब पुलिस अधिकारियों के पास नही है।

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