गंगा जमुनी तहजीब को नजीर देते हुए सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रहे 'मुस्ताक भाई' विदेशी पर्यटक भी हैं दीवाने

Published : Nov 14, 2022, 11:38 AM ISTUpdated : Nov 14, 2022, 11:42 AM IST
गंगा जमुनी तहजीब को नजीर देते हुए सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रहे 'मुस्ताक भाई' विदेशी पर्यटक भी हैं दीवाने

सार

काशी की गलियों में कई ऐसे कलाकार है  जो गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल पेश कर रहे हैं। अस्सी घाट पर तकरीबन 30 वर्षों से बांसुरी बनाने वाले मुस्ताक भी इनमें से एक हैं। वह लोगों को मुफ्त में बांसुरी सिखाने का भी काम करते हैं। 

अनुज तिवारी
वाराणसी:
काशी अपने संस्कृति कलाओं और कलाकारों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन काशी में कुछ ऐसे भी कलाकार हैं जो इन गलियों में गुमनाम है। ऐसे ही कलाकार बनारस के अस्सी घाट पर है जो बड़े ही खूबसूरती से बांसुरी को बनाते हैं और उससे कई ज्यादा खूबसूरत शुरू से उसमें आवाज भरते हैं। अस्सी घाट के करीब मुस्ताक भाई करीब 30 वर्षों से बांसुरी बनाने और बेचने के साथ साथ मुफ्त में सिखाने का भी काम करते हैं।

कौन है मुस्ताक भाई 
मुस्ताक भाई अस्सी घाट पर बांसुरी का दुकान लगाते हैं यह रहने वाराणसी के मुडाइला ( मंडुआडीह )  के रहने वाले हैं। मुस्ताक भाई बताते हैं कि हमारे परिवार में एक संगीत घराना बसता था और उसी परंपरा का निर्वहन करते हमने भी आ काम शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि जब शादी हो गई तो उसके बाद पैसे की आवश्यकता होने लगी उसके बाद से ही हमने बांसुरी बनाने और बेचने का काम शुरू कर दिया। जब मैं शुरू शुरू में बनारस के घाटों पर बांसुरी की दुकान लगाया करता था तो लोग पसंद नहीं करते थे और जब हम यहां इसे बेचा करते थे बजाया करते थे तो लोग काफी नाराज भी हुआ करते थे। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ आज मुस्ताक भाई के पास जो भी पर्यटक आते हैं वह मुस्ताक भाई के इस बांसुरी की आवाज को सुन कर एक बार जरूर ठहर जाते हैं और मुस्ताक भाई के इस बांसुरी को सीखने के साथ-साथ खरीदना भी पसंद करते हैं। मुस्ताक भाई उन्हें पहले बांसुरी बजाने का तरीका सिखाते हैं और बड़े ही अदब लिहाज से उन्हें यह बांसुरी देते हैं।

विदेशी पर्यटक भी रहते हैं मुस्ताक भाई से खुश
मुस्ताक भाई से काफी विदेशी पर्यटक भी सीखने आए हैं ऐसे ही एक विदेशी पर्यटक ने बताया कि मुस्ताक बाइक सिखाने का अंदाज बड़ा ही सरल है। मुस्ताक भाई बताते हैं कि इन 3 साल की उम्र में ऐसे भी विदेशी पर्यटक हमारे सामने आए जो यहां से सीकर विदेशों में अपना एक क्लास भी चला रहे हैं और लोगों को बांसुरी बजाना भी सिखा रहे हैं। निस्वार्थ भाव से बांसुरी बेचने के साथ से निशुल्क दिखाना मेरे मन को एक शांति प्रदान करता है जिसका मैं कोई चार्ज नहीं लेता हूं लोग खुश होकर मुझे कुछ दे देते हैं और मैं उसे तोहफा समझ कर रख लेता हूं।

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