याचिका दाखिल कर मांगी मस्जिद में लाउडस्पीकर की परमिशन, कोर्ट ने कहा संतुलन बिगड़ सकता है

यूपी के एक गांव में मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने पर लगी रोक को हटाने की मांग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने ​कहा, कोई भी धर्म ये आदेश या उपदेश नहीं देता कि तेज आवाज वाले यंत्रों से ही प्रार्थना की जाए। लाउडस्पीकर पर अगर रोक हटा ली गई तो असंतुलन खड़ा हो सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 12:05 PM IST / Updated: Jan 21 2020, 06:24 PM IST

प्रयागराज (Uttar Pradesh). यूपी के एक गांव में मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने पर लगी रोक को हटाने की मांग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने ​कहा, कोई भी धर्म ये आदेश या उपदेश नहीं देता कि तेज आवाज वाले यंत्रों से ही प्रार्थना की जाए। लाउडस्पीकर पर अगर रोक हटा ली गई तो असंतुलन खड़ा हो सकता है।

क्या है पूरा मामला  
एक गांव में एसडीएम ने दो समुदायों के बीच विवाद को रोकने के लिए किसी भी धार्मिक स्थल पर इन तेज ध्वनि वाले उपकरण को न लगाने का आदेश दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। इसमें कहा गया वे मस्जिदों में रोजाना 5 बार दो मिनट के लिए इन उपकरणों के प्रयोग की अनुमति चाहते हैं। उसमें दावा किया गया था कि इससे प्रदूषण या शांति व्यवस्था को खतरा नहीं है। यह उनके धार्मिक कार्यों का हिस्सा है, बढ़ती आबादी की वजह से लोगों को लाउडस्पीकर के जरिए नमाज के लिए बुलाना जरूरी हो जाता है। 

कोर्ट ने कही ये बात
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्ट‌िस पंकज मिठल और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित ने अपने आदेश में कहा, कोई भी धर्म ये आदेश या उपदेश नहीं देता है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के जर‌िए प्रार्थना की जाए या प्रार्थना के लिए ड्रम बजाए जाएं। अगर ऐसी कोई परंपरा है, तो उससे दूसरों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए, न किसी को परेशान किया जाना चा‌हिए। मौजूदा मामले में यह साफ है कि ऐसा कराने की जरूरत नहीं है। इससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है।

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