राज्य चुनाव आयोग और सरकार से मृतक कर्मचारियों के परिजनों को एक-एक करोड़ मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने को कहा है। साथ ही चुनाव आयोग से कहा कि अध्यापकों, शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया, जिससे लोगों की मौत हुई, जबकि उनको दिया गया मुआवजा पर्याप्त नहीं है।
प्रयागराज (Uttar Pradesh) । यूपी पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण की वजह से हुई मौतों को लेकर हाईकोर्ट गंभीर है। यूपी सरकार ने इससे पहले हाईकोर्ट को बताया था कि वह मारे गए कर्मचारियों को 35 लाख रुपये दे रही है। इसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यह राशि बहुत कम है। इसे कम से कम-एक-करोड़ होना चाहिए। कोर्ट ने सरकार व आयोग से पूर्व में घोषित मुआवजे की राशि को वापस लेने को कहा है।
पुनर्विचार करने का निर्देश
राज्य चुनाव आयोग और सरकार से मृतक कर्मचारियों के परिजनों को एक-एक करोड़ मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने को कहा है। साथ ही चुनाव आयोग से कहा कि अध्यापकों, शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया, जिससे लोगों की मौत हुई, जबकि उनको दिया गया मुआवजा पर्याप्त नहीं है।
संदिग्ध मौत भी कोरोना से हुई मौत मानें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व सरकारी गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि जो कोविड संदिग्ध मौत होती है तो उसे भी कोरोना से हुई मौत माना जाए। कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझे। यदि कोई सर्दी जुकाम से भर्ती हुआ है और रिपोर्ट नहीं आई है और मौत हो जाती है तो ऐसी मौत को कोरोना मौत माना जाए। बशर्ते कि उसे हार्ट या किडनी की अन्य गंभीर समस्या न हो। ऐसी मौत पर कोविड प्रोटोकॉल का दाह संस्कार में पालन कराने का भी आदेश दिया है।