कल्याण सिंह: जिनके राज में हाईस्कूल-इंटर पास करने पर युवा गर्व से कहते- हम कल्याण राज के पास आउट हैं

Published : Aug 22, 2021, 09:01 AM ISTUpdated : Aug 22, 2021, 09:02 AM IST
कल्याण सिंह: जिनके राज में हाईस्कूल-इंटर पास करने पर युवा गर्व से कहते- हम कल्याण राज के पास आउट हैं

सार

भाजपा के कद्दावर नेता व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का 21 अगस्त को निधन हो गया। राजस्थान के पूर्व राज्यपाल रह चुके कल्याण सिंह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते साल वह कोरोना को मात देकर लौटे थे। कल्याण सिंह 89 साल के थे। 

लखनऊ। यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह सिर्फ राम मंदिर आंदोलन के लिए ही नहीं बल्कि एक सख्त प्रशासक के रूप में भी हमेशा याद किए जाएंगे। सूबे में परीक्षा रूपी संस्था की प्रतिष्ठा स्थापित करने का श्रेय भी कल्याण सिंह को जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाली यूपी बोर्ड में नकल अध्यादेश लागू कल्याण सरकार ने ही की थी। कल्याण सिंह सरकार में शिक्षा मंत्री रहे थे वर्तमान केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। हालांकि, नकल अध्यादेश को काफी विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन उस दौर में जो भी हाईस्कूल या इंटर पास हुआ वह बड़े ही गर्व से कहता था कि हमने कल्याण सिंह के जमाने में हाईस्कूल-इंटर पास किया है।

नकल कराने वाले शिक्षकों को लगी हथकड़ियां

कल्याण सरकार में जब 1992 में दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाली संस्थाओं में से एक यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में नकल अध्यादेश को लागू किया गया तो पूरे प्रदेश में बेहद सख्त ढ़ंग से परीक्षाएं हुईं। पहली बार नकल कराने के आरोपी शिक्षकों को हथकड़ियां भी लगाई गई। हालांकि, कल्याण सिंह का एक प्रशासक के रूप में यह फैसला सराहा गया तो आलोचना भी खूब हुई। उनके बाद जैसे ही मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी तो सबसे पहला आदेश नकल अध्यादेश को खत्म करने का दिया। 

कल्याण की सख्ती का नतीजा 14 प्रतिशत रिजल्ट

कल्याण सिंह सरकार की सख्ती का ही नतीजा था कि तीन दशक पहले 1992 में 10वीं-12वीं परीक्षा के लिए पंजीकृत हजारों छात्रों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी। उस परीक्षा में इतनी जबर्दस्त कड़ाई हुई थी कि 10वीं में महज 14.70 प्रतिशत जबकि इंटर में 30.30 फीसदी परीक्षार्थी ही पास हो सके थे।

कई कई स्कूल कॉलेजों में रिजल्ट जीरो रहा

1992 में हाईस्कूल परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों की स्थिति यह थी की पूरे-पूरे मोहल्ले में खोजने से इक्का-दुक्का पास छात्र मिलते थे। कई स्कूल ऐसे थे जिनका एक भी छात्र 10वीं पास नहीं कर पाया था। उस दौर में 10वीं और 12वीं पास करने वाले लोग आज भी गर्व से बताते हैं कि उन्होंने कल्याण सिंह के कार्यकाल में परीक्षा पास की थी। 

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