राजनीति में आने की बात न करें साधु-संत, निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर बोले- आफताब को मिले फांसी से भी सख्त सजा

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि गीता जयंती के मौके पर गीता पाठ का आयोजन करने कानपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने श्रद्धा हत्याकांड पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपी आफताब को फांसी से भी सख्त सजा देने की मांग की है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 5, 2022 4:01 AM IST

कानपुर: निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि गीता जयंती के मौके कानपुर पहुंचे थे। वह कानपुर में गीता पाठ का आयोजन करने के लिए आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने बहुचर्चित श्रद्धा हत्याकांड को लेकर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि श्रद्धा के 35 टुकड़े कर देना, उसके वहीं टुकड़े करना और भोजन करना ये बेहद संगीन और घिनौना अपराध है। कैलाशानंद गिरि ने कहा कि कोई भी धर्म इस तरह का काम करने की इजाजत नहीं देता है। आफताब जैसे दोषियों को फांसी से भी क्रूर सजा देनी चाहिए। बता दें कि आफताब ने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े कर उसे जंगलों में फेंक दिया था।

साधु-संतों को लेकर बोली बड़ी बात
महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा कि आफताब को दी गई हर सजा उसके अपराध के सामने बहुत छोटी है। इस दौरान उन्होंने साधु-संतों को लेकर भी बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि साधु-संतों को राजनीति में आने की बातें नहीं करनी चाहिए। साधू अपने स्वभाव का त्याग नहीं करें। धर्म की राजनीति करने वालों को सम्मान और सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश में धर्मांतरण के मामलों में बेहद सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है। कुछ धर्म के लोग हमारे सनातनी भाई-बहनों का साजिश के तहत धर्म परिवर्तन करवा देते हैं। यह बेहद गलत है। इस पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए।

यूपी में खत्म हो गया अपराध
उन्होंने कहा कि इसके लिए सीएम योगी और पीएम मोदी को मिलकर जल्द सख्त कानून लाना चाहिए। इसके अलावा कैलाशानंद सरस्वती ने मांग की कि सरकार की तरफ से देश में और यूपी में मंदिरों के पुजारियों को भी भत्ता दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब सरकार को इस मामले पर फैसला लेना चाहिए। एक समय उत्तर प्रदेश अपराधियों का गढ़ था। लेकिन अब यूपी में तेजी से धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है। अब धर्म को बल मिल रहा है और भय पूरी तरह से खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग अपराध के कारण डरकर रहने को मजबूर थे। वह आज अपराध से डरकर नहीं बल्कि धर्मयुक्त होकर जी रहे हैं।

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