लखीमपुर कांड: पुलिस ने जल्दबाजी में छोड़ दिए कई सबूत, बारिश के पानी ने सब धुलकर रख दिया

यूपी के लखीमपुर में गैंगरेप के बाद दो बहनों की हत्या मामले में पुलिस ने जल्दबाजी में कई अहम सबूत छोड़ दिए। इसके बाद हुई बारिश ने जो कुछ बचा था उस पर भी पानी फेर दिया। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2022 6:00 AM IST

लखीमपुर: निघासन थाना इलाके में नाबालिक बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पुलिस की जांच शुरुआत से ही कमजोर नजर आ रही है। इस बीच फॉरेंसिक एविडेंस, वैज्ञानिक जांच और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच में भी गंभीर उपेक्षा सामने आई है। किशोरियों के शव मौके पर मिलने के बाद इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच में गंभीर उपेक्षा देखने को मिली। आपको बता दें कि किशोरियों के शव मिलने के बाद पेड़ की टहनियों और आसपास घास पर शव घसीटे जाने के निशान खोजने के बजाय आनन-फानन में पुलिस शव को अपने साथ ले गई। इस दौरान घटनास्थल की वीडियोग्राफी तक ठीक से नहीं करवाई गई। पुलिस की जल्दबाजी के चलते कई अहम सबूत खतरे में पड़ गए। शव पर चोट के जाहिरा निशान तक पंचनामा की लिखापढ़ी में नहीं अंकित हो सके। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने दुष्कर्म, चोटों के निशान, हत्या में पुलिस की लापरवाही की कलई खोलकर रख दी। 

पुलिस ने नहीं संकलित किए साक्ष्य, बारिश के पानी में सब धुल गया 
यह पुलिस की जल्दबाजी का आलम ही है कि घुटनों के बल जमीन पर शव के लटकने के बाद भी उस जगह की मिट्टी, मृतक बहनों के घुटने से घसीटते हुए स्थान की मिट्टी के नमूने भी नहीं लिए गए। जबकि ऐसे नमूनों में मृतक बहनों के शरीर की त्वचा के ऊतकों की पुष्टि के रासायनिक औऱ वैज्ञानिक सबूत मिल सकते थे। यही नहीं आनन फानन में संभावित सबूतों को नष्ट भी कर दिया गया। इसके बाद बाकी कसर को बारिश ने पूरा कर दिया। जो बचे सबूत थे वह सभी बारिश के पानी में धुल गए। 

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कलमबंद बयान भी नहीं करवाए गए दर्ज 
आपको बता दें कि घास पर आसानी से मिल जाने वाले घसीटने के निशान पुलिस के हाथ से फिसल चुके हैं। इसी के साथ लाशों के नीचे पाई जाने वाली मिट्टी में त्वचा और ऊतकों के निशान इस विवेचना को काफी ज्यादा अहम मोड़ दे सकते थे। ज्ञात हो कि पहले तिकुनियां कांड में भी एसआईटी ने गवाहों के कलमबंद बयान दर्ज करवाए थे जिससे वह आगे चलकर मुकर न जाएं. लेकिन निघासन कांड में पुलिस ने ऐसी कोई तत्परता नहीं दिखाई। पोस्टमार्टम के पहले पुलिस आरोपियों के बयान पर विश्वास कर घटना को सिर्फ दुष्कर्म के बाद हत्या बता रही थी। जबकि रिपोर्ट में सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि हुई। हालांकि इसके बाद भी पुलिस ने बचे हुए सबूतों को घटनास्थल से इकट्ठा करने की कोई जहमत नहीं उठाई।  

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