निकाय चुनाव पर अब 23 दिसंबर को होगी सुनवाई, कल फैसला नहीं होने पर इस वजह से जनवरी में टलेगा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कल फिर से तारीख दे दी है। अगर कल इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं हुई तो जनवरी में अगली सुनवाई होगी क्योंकि 25 दिसंबर से कोर्ट में विंटर वैकेशन शुरू हो रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2022 11:07 AM IST / Updated: Dec 22 2022, 04:38 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव 2022 को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर याचिकाओं पर बुधवार के बाद गुरुवार को दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कल यानी 23 दिसंबर को फिर से तारीख दे दी है। कोर्ट में 25 दिसंबर से विंटर वैकेशन शुरू हो रहा है। अगर नगर निकाय चुनाव की सुनवाई कल पूरी नहीं हुई और अधिसूचना पर लगी रोक पर फैसला नहीं आया तो फिर जनवरी में मामले की अगली सुनवाई होगी। इसकी वजह से निकाय चुनाव लंबा टलने की संभावना है।

अब तक 51 याचिकाएं हो चुकी है कोर्ट में दाखिल
ओबीसी आरक्षण को लेकर यूपी की सरकार की ओर से मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। इस पर याचियों के वकीलों ने प्रति उत्तर भी दाखिल कर दिए हैं। रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने दिया है। वैभव पांडे के अलावा 51 याचिकाएं और वार्ड आरक्षण को लेकर दाखिल की जा चुकी हैं। फिलहाल वकीलों का मानना है कि सभी याचिकाएं एक ही जैसे मुद्दों की आपत्तियों पर है इसलिए इसको एक साथ ही सुना जा रहा है।

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याचिकाकर्ताओं ने सरकार के जवाब में उठाए थे सवाल 
इसके अलावा बीते मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब, प्रति शपथपत्र में दाखिल कर दिए गए हैं। उसके बाद याचिकाओं के वकीलों ने आपत्ति करते हुए राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगे जाने की गुजारिश की, जिसे अदालत ने नहीं माना। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने इस मामले की सुनवाई के बाद जल्द ही निस्तारित किए जाने का आग्रह किया था। 

राज्य सरकार- सर्वे को माना जाए ट्रिपल टेस्ट
यूपी सरकार के वकील ने हलफनामा देकर सभी का जवाब राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में साल 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। इसके साथ ही सरकार ने कहा था कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए और ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। बता दें कि कोर्ट ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी। इसके अलावा राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीती 5 दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत आदेश जारी न करें। फिलहाल मामले की सुनवाई चल रही है।

निकाय चुनाव आरक्षण मामले पर कोर्ट ने आज भी नहीं सुनाया फैसला, 22 दिसंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई

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