यूपी में 'योगी मॉडल' से बदली पूरे राज्य की तस्वीर, NCRB की रिपोर्ट में प्रदेश को दंगामुक्त किया करार

योगी मॉडल से पूरे यूपी की तस्वीर बदल गई है। जिसकी वजह से राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बरकरार है तो वहीं NCRB की रिपोर्ट में प्रदेश दंगामुक्त राज्य बन गया है। साल 2021 के मुकाबले बच्चों व महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 26, 2022 1:10 PM IST / Updated: Oct 26 2022, 06:41 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दोबारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद एक बार फिर कई कदम जनता के हित में उठाए और राज्य में योगी मॉडल के रूप में कई जगहों पर पहचान बनाई। खासतौर से योगी मॉडल का जिक्र अपराधी या अपराध के खिलाफ सरकार की सख्ती के तौर पर हो रहा है। इतना ही नहीं यूपी सरकार का दावा है कि सिर्फ राज्य ही नहीं बल्कि अब देश भर में योगी मॉडल की चर्चा हो रही है। इसके अलावा दावा यह भी है कि योगी मॉडल ने यूपी की पूरी तस्वीर बदल दी है। सत्ता में दोबारा वापसी के बाद सीएम योगी ने कानून-व्यवस्था को लेकर सख्ती के परिणाम सामने आए हैं। इसकी गवाही NCRB के आंकड़े भी दे रहें है।

सीएम योगी की छवि से राज्य की जनता है सुरक्षित
NCRB के ताजे आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में राज्य में काफी कमी आई है। साथ ही NCRB की रिपोर्ट में यूपी को दंगा-मुक्त प्रदेश बताया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त प्रशासक छवि से प्रदेश की जनता सुरक्षित हुई है। साल 2021 में पूरे देश में कुल 378 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज हुई है पर यूपी इकलौता राज्य है जिसमें केवल एक घटना हुई है। अगर एनसीआरबी के आंकड़ों को सही माने तो फिर यूपी दंगा-मुक्त है। 

इन आकड़ों के जरिए किया जा रहा दावा
इन सबके अलावा NCRB के आंकड़ों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि यूपी में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी बहुत कमी आई है। राज्य में साल 2019 में UP में बच्चों के खिलाफ 18943 मामले रजिस्टर्ड हुए थे जबकि साल 2021 में यह घटकर 16838 हो गए है। प्रदेश में कुल बाल अपराधों में 11.11 फीसदी की कमी आई है। वहीं साल 2019 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 59853 मामले दर्ज हुए थे लेकिन इसके बाद साल 2021 में घटकर यह मामले 56083 हो गए है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि साल 2019 की तुलना में 2021 में महिला अपराधों में 6.2 फीसदी की कमी आई है। इसी आंकड़े के आधार पर दावा किया जा रहा है कि यूपी में महिलाएं सुरक्षित है।

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