इतिहास में पहली बार, मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा, काली खोह धाम का कपाट बंद, नहीं कर पाएंगे दर्शन-पूजन

विंध्यवासिनी मंदिर में भोर से लेकर मां के शयन तक चार बार आरती की जाती है। इसका काफी महत्व है। नवरात्र व सामान्य दिनों में भी लोग आरती में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। हालांकि प्रतिबंध के दौरान आम लोग आरती में शामिल नहीं हो सकेंगे। लेकिन विंध्याचल मंदिर सहित मां अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर में होने वाली आरती अनवरत जारी रहेगी। इस दौरान श्रृंगारियां अंदर जाएंगे और मां की आरती करेंगे। 

Ankur Shukla | Published : Mar 19, 2020 1:31 PM IST

मीरजापुर (Uttar Pradesh)। इतिहास में पहली बार कोरोना वायरस की वजह से मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा और काली खोह धाम का कपाट अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय आज श्री विंध्य पंडा समाज हुई आम सभा की बैठक लिया गया। यह बंदी शुक्रवार भोर की मंगला आरती के बाद से प्रभावी होगी।

नहीं रुकेगी मां की आरती
विंध्यवासिनी मंदिर में भोर से लेकर मां के शयन तक चार बार आरती की जाती है। इसका काफी महत्व है। नवरात्र व सामान्य दिनों में भी लोग आरती में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। हालांकि प्रतिबंध के दौरान आम लोग आरती में शामिल नहीं हो सकेंगे। लेकिन विंध्याचल मंदिर सहित मां अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर में होने वाली आरती अनवरत जारी रहेगी। इस दौरान श्रृंगारियां अंदर जाएंगे और मां की आरती करेंगे। 


आरती की समय- सारिणी

मंगला आरती- सुबह 4 से 5 बजे तक

दोपहर आरती-12 बजे से 01 बजे तक

संध्या आरती-शाम 07:15 से 08 :15 तक

बड़ी आरती- रात्रि 9:30 से 10:30 तक


इसलिए लिया निर्णय
बुधवार को हुई प्रशासनिक बैठक में सिर्फ यह निर्णय लिया गया था कि गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन, आज श्रीविंध्य पंडा समाज की दोबारा बैठक हुई। पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्धिवेदी ने कहा कि देश का हित, देश के नागरिकों का हित पहले है। इसलिए आम जनता की भलाई के सभी ने सहमति से इसे पारित किया।
 

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