प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने तत्कालीन इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह समेत छह पुलिसकर्मियों (अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, कमलेश सिंह यादव और प्रशांत कुमार) के खिलाफ हत्या, मारपीट, साक्ष्य छिपाने समेत अन्य धाराएं लगाई है।
कानपुर। प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड (Manish Gupta Murder Case) में CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने तत्कालीन इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह समेत छह पुलिसकर्मियों (अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, कमलेश सिंह यादव और प्रशांत कुमार) के खिलाफ हत्या, मारपीट, साक्ष्य छिपाने समेत अन्य धाराएं लगाई है।
सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 34, 120-बी एवं 149 के साथ पठित धारा 302, 323, 325, 506, 218, 201 लगाई है। जांच एजेंसी ने विशेष न्यायिक दंडाधिकारी, लखनऊ की अदालत में शुक्रवार को आरोप पत्र दायर किया। इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए थे। सीबीआई ने मौके पर मौजूद गवाहों समेत फॉरेंसिक टीम से घटनास्थल का मुआयना कराया और तमाम सबूत एकत्र करने के बाद आरोप पत्र दायर किया।
27 सितंबर 2021 को हुई थी हत्या
27 सितंबर को मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों हरदीप सिंह चौहान और प्रदीप सिंह चौहान के साथ गोरखपुर घूमने गए थे। वह रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के होटल कृष्णा पैलेस में रुके थे। इसी दौरान आधी रात पुलिस होटल में चेकिंग करने पहुंची। मनीष गहरी नींद में थे, पुलिस ने जगाया तो मनीष ने कहा कि इतनी रात में क्यों जगा रहे हो, क्या हम आतंकी हैं। बताया जाता है कि इसी बात पर पुलिसकर्मियों ने मनीष को पीटना शुरू कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। आनन-फानन में पुलिसवाले उन्हें अस्पताल लेकर गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
मनीष के दोस्तों ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने होटल के कमरा नंबर 512 में चेकिंग करने गए तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, विजय यादव व राहुल दुबे, सिपाही प्रशांत कुमार व हेड कांस्टेबल कमलेश यादव के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
मीनाक्षी ने गोरखपुर पुलिस पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। पहले एसआईटी कानपुर (SIT Kanpur) को जांच दी गई थी। करीब एक महीने तक एसआईटी ने जांच की। वह चार्जशीट दाखिल करती इससे पहले जांच सीबीआई को सौंप दी गई। दो नवंबर को सीबीआई, लखनऊ (CBI Lucknow) ने इस मामले में अपने यहां एफआईआर (FIR) दर्ज की थी।
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