ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भाई दूज से बदल गया दर्शन का समय, जानिए किस वजह से सालों से चली आ रही ये परंपरा

Published : Oct 26, 2022, 11:49 AM ISTUpdated : Oct 26, 2022, 11:55 AM IST
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भाई दूज से बदल गया दर्शन का समय, जानिए किस वजह से सालों से चली आ रही ये परंपरा

सार

यूपी के मथुरा जिले का प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में आज से दर्शन के समय को बदल गया है। दरअसल मंदिर में दर्शन की शरदकाली समय सारणी लागू हो गई है और हर साल ठाकुर जी के दर्शन के समय में बदलाव किया जाता है। 

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृन्दावन में स्थिति ठाकुर बांकेबिहारी महाराज में बुधवार 26 अक्टूबर से दर्शन के समय को बदल दिया गया है। भाई दूज से ठाकुरजी के दर्शन का समय परिवर्तित हो गया। बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक उमेश सारस्वत का कहना है कि शीतकालीन समय के अनुसार ठाकुरजी के सुबह सुबह आठ बजकर 45 मिनट बजे पट खुलेंगे। उसके बाद 8 बजकर 55 मिनट पर शृंगार आरती होगी और दोपहर 12 बजे ठाकुरजी का राजभोग आएगा फिर साढ़े बारह पर एक बार फिर से ठाकुरजी के पट खुलेंगे। इसके बाद दोपहर 12.55 बजे ठाकुरजी के राजभोग आरती के दर्शन होंगे।

सालों से चली आ रही समय बदलने की परंपरा
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन के बदलाव में शाम को बदले गए समय के अनुसार साढ़े चार बजे से फिर से दर्शन के लिए पट खोले जाएंगे। साढ़े सात बजे शयन भोग आएगा। इसके बाद आठ से ठाकुरजी भक्तों को दर्शन देंगे। आठ बजकर 25 मिनट पर शयन भोग आरती के दर्शन सुलभ हो सकेंगे। इस परंपरा को हर साल की तरह एक बार फिर से ठाकुर जी के दर्शन के समय में बदलाव किया जा रहा है और भाई दूज से मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन के समय में बदलाव किया जाता है। ठाकुरजी के दर्शन का समय शरदकालीन समय सारिणी से आरम्भ होता है, जो होली की दूज तक चलता है। दिवाली की भाई दूज से ठाकुरजी के दर्शन के समय में बदलाव हो जाता है।

सूर्यग्रहण के दिन बंद रहे मंदिरों के कपाट
भाई दूज से बदले समय के अलावा प्रबंधक उमेश सारस्वत का कहना है कि शाम मथुरा स्थिति श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर धूमधाम से दिवाली मनाई गई और सूर्यग्रहण के बाद अन्नकूट पर्व को मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 25 अक्टूबर को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान के सभी मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे। वहीं श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा के अनुसार 23 अक्टूबर को दीप महोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ हुआ। 24 अक्टूबर को श्री अन्नपूर्णेश्वरी महादेव मंदिर में दीपदान हुआ और इस बीच श्रद्धालु मंदिर परिसर में केवल जप-ध्यान के लिए प्रवेश कर सके थे।

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