बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए।
Ankur Shukla | Published : Apr 14, 2020 5:30 AM IST / Updated: Apr 14 2020, 11:47 AM IST
लखनऊ (Uttar Pradesh) । बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से दलितों और अति पिछड़ों की स्थिति और दयनीय हो गई है। देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हुए। पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे, जबकि 10 फीसदी समाज के अन्य वर्गों के गरीब लोग थे। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती पर अपने संबोधन में मायावती ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई। सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की। इस वजह से इस तबके के लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करना उचित समझा।
आम आदमी पार्टी पर साधा निशानाबसपा मुखिया मायावती ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए।
आज भी नहीं बदली जातिवादी मानसिकतामायावती ने कहा कि आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है। ये बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की। उसके बाद दिल्ली समेत यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोगों ने अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा को देखते हुए मजबूरी में इन लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करने लगे।