सांसद साक्षी महाराज बोले- अपनी सुरक्षा व अलगाववादी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने वाला हूं

Published : Jul 04, 2022, 03:33 PM IST
सांसद साक्षी महाराज बोले- अपनी सुरक्षा व अलगाववादी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने वाला हूं

सार

उन्नाव प्रवास पर पहुंचे साक्षी महाराज ने कहा कि आतंक की गहरी जड़ें कानपुर और उन्नाव तक पहुंच चुकी है। वह जल्द ही अपनी सुरक्षा और अलगाववादी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर सीएम योगी से मुलाकात करेंगे। 

जितेंद्र मिश्रा
उन्नाव:
बीजेपी सांसद साक्षी महाराज उन्नाव प्रवास पर है। सांसद ने यहां अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में उदयपुर घटना व खुद को जान से मारने की धमकी को लेकर बड़ा बयान दिया है। गुमनाम खत में हिंदूवादी कमलेश तिवारी की पत्नी, PM मोदी , योगी आदित्यनाथ के अलावा साक्षी महाराज को जान से मारने की धमकी देते हुए फोटो पर कट का निशान व टारगेट लिखा गया है।  खुद की जान के खतरे को लेकर सांसद ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अलगाववादी मोदी जी का सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास इसके आधार पर देश में जो विकास का मार्ग तय कर लिया है। कुछ लोग इसी में जहर घोलने का प्रयास करके देश में अशांति करना चाहते हैं।

'जल्द करने वाला हूं सीएम योगी से मुलाकात'
साक्षी महाराज ने आगे कहा कि इसी क्रम में कन्हैया की हत्या,अमरावती में उमेश की हत्या। कन्हैया और उमेश तक ही नहीं वो तो योगी तक मोदी तक साक्षी महाराज तक कितनो को धमकी देते है। धमकिया तो पहले भी मिलती रही है लेकिन अब जो धमकी मिली है चिंता का विषय है। जो आतंकी संगठन देश मे सक्रिय है योजनबद्ध तरीके से देश में एक अशांत माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मैं यहां से सांसद हूँ उन्नाव कानपुर एक है। यही के लोगों ने पहले हमें बम से उड़ाने की धमकी दी गयी थी।आतंकी बहुत गहरी जड़ें उन्नाव कानपुर में है। अपनी सुरक्षा व अलगाववादी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने वाला हूं।

'एकाएक नहीं हुई उदयपुर हिंसा की घटना'
सांसद साक्षी महाराज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उदयपुर की हिंसा कोई एकाएक नहीं है। किसी क्रिया की प्रतिक्रिया नहीं है, नूपुर के बयान का मतलब नहीं है। 2611 स्कूटर का नंबर कब लिया उसमें वह तो नंबर लेने से ही पता चलता है कि उसकी मानसिकता क्या थी और खंजर कानपुर से कब से बनाए जा रहे थे। धार कब से धरी गई और इस सब में जो सबसे दुखद पहलू है। उदयपुर के मामले में उनका पड़ोसी था कन्हैया। वह कपड़े सिलवाते थे। मित्रता थी उसके बाद भी इतना बड़ा विश्वासघात। अमरावती में जो घटना हुई वह तो 10 साल पुराना मित्र था अंत्येष्टि में भी गया।  ऐसे ही कमलेश तिवारी की हत्या हुई। उसमें भी 10 साल पुराना संबंध था तो किस पर विश्वास किया जाए। यह तो लोगों को सोचना पड़ेगा। मुझे तो विशेष रूप से सोचना पड़ेगा कि आखिरकार लोग पार्टी से हिंदू नेताओं से जोड़ करके कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं बना रहा है।

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