मुलायम सिंह यादव के गांव की यूपी में है अलग पहचान, यादव परिवार ने महानगर की तर्ज पर किया सैफई का विकास

यूपी के इटावा जनपद में आने वाला सैफई गांव मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है। इस गांव में जन्मे मुलायम सिंह का आज इसी गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। यादव परिवार ने एक बड़े महानगर की तर्ज पर सैफई गांव का विकास किया है। 

इटावा: उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव सैफई अक्सर चर्चाओं में बना रहता है। सैफई गांव हर वर्ष चर्चा में तब जरूर आता था जब यहां पर सैफई महोत्सव होता था। हालांकि वर्ष 2016 से सैफई महोत्सव का आयोजन नहीं हुआ। सैफई महोत्सव में बड़े-बड़े फिल्मी सितारे भी शिरकत करते थे। बता दें कि इस गांव में मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव ने हर वो संसाधन उपलब्ध कराने की कोशिश की जो बड़े-बड़े महानगरों में होता है। शायद इसीलिए यादव परिवार पर अक्सर ये आरोप लगते रहे हैं कि उनकी सरकार में विकास कार्य केवल सैफई तक ही सीमित रह गया। वहीं नेताजी के निधन के बाद सैफई में मातम पसर गया। 

मुलायम सिंह को "नेताजी" कहते थे गांव के लोग
बीते सोमवार सुबह मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता में अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। बता दें कि 22 नवंबर 1939 में मुलायम सिंह यादव का जन्म सैफई गांव में हुआ था। इसी गांव से निकलकर नेताजी ने राजनीति में अपनी पहचान बनाई थी। वह तीन बार यूपी के सीएम और 1 बार देश के रक्षामंत्री भी रहे। सैफई गांव मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां से नेताजी कई बार सांसद भी रहे। सैफई गांव के लोग मुलायम सिंह यादव को नेताजी कहकर पुकारते थे। कभी सैफई गांव खेती-बाड़ी पर निर्भर हुआ करता था और यहां कि अधिकतर जमीन बंजर थी। लेकिन यादव परिवार के विकास के कारण ही आज सैफई में हर वो चीज उपलब्ध है जो एक महानगर में होती है। 

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यादव परिवार ने किया सैफई का विकास
महज 7 हजार की आबादी वाला यह गांव अब शिक्षा, स्वास्थ्य और स्पोर्ट्स का बड़ा हब बन चुका है। यादव परिवार के राजनीति में आने के बाद इस गांव की पूरी की पूरी तस्वीर ही बदल गई। यहां पर 24 घंटे बिजली, चौड़ी-चौड़ी सड़के और पानी की भरपूरी व्यवस्था है। इस गांव में फ्लैट और विला भी हैं। इस गांव में जाने के बाद ऐसे महसूस होता है कि जैसे किसी बड़े महानगर में आ गए हों। सैफई गांव से थोड़ी ही दूरी पर यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज भी है। इसके अलावा यहां पर एक मेडिकल कॉलेज भी है। इस मेडिकल कॉलेज में 200 से अधिक डॉक्टर हैं। साथ ही 300 से ज्यादा का नर्सिंग स्टॉफ भी है। 

इस गांव में स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी हैं मौजूद
वहीं सैफई में न केवल स्कूल-कॉलेज हैं बल्कि यूनिवर्सिटी भी है। इसके अलावा यहां पर दो सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी हैं। इसमें से एक स्कूल मुलायम सिंह यादव के पिता सुघर सिंह के नाम पर है। बता दें कि इस स्कूल में CBSE बोर्ड की पढाई के साथ ही यूपी बोर्ड की भी पढ़ाई होती है। इस स्कूल की खास बात ये है कि यहां पर डिजिटल क्लासरूम के अलावा साइंस लैब भी है। वहीं दूसरा स्कूल फिल्म जगत के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम पर है। इस स्कूल को यूपी सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। इसी के साथ ही सैफई गांव मैनपुरी और इटावा के फोर लेन स्टेट हाइवे से जुड़ा है। गांव के बगल से ही आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे गुजरता है। 

यूपी से अधिक है साक्षरता दर
इतना ही नहीं सैफई में हवाई पट्टी यानि कि एयरस्ट्रिप भी है। वर्ष 2015 में वायुसेना ने यहां पर मिराज 2000 को उतारा था। साथ ही वर्ष 2018 में यहां पर वायुसेना ने एक्सरसाइज भी की थी। अगर इस गांव की साक्षरता दर की बात की जाए तो यूपी की तुलना में यहां की साक्षरता दर भी ज्यादा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सैफई की साक्षरता दर 82.44% है और यूपी की 67.68% है। इस गांव की कुल आबादी 7,141 है। जिसमें 3,917 पुरुष और 3,244 महिलाएं शामिल हैं। 

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