
लखनऊ: पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ में घुसपैठ को लेकर एक सेल तैयार किया था। इसके लिए लगभग 50 लोगों को पीएफआई के द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था। यह सदस्य हिंदू देवी-देवताओं के बारे में जानकारी लेने के साथ ही आरएसएस की शाखा और उनके तौर तरीकों के बारे में प्रशिक्षण ले रहे थे। ऐसा इसलिए किया जा रहा था जिससे आरएसएस के अंदर इन लोगों की घुसपैठ करवाकर संवेदनशील सूचनाओं को प्राप्त किया जा सके।
मोबाइल और लैपटॉप से मिले कई सबूत
गौरतलब है कि बीकेटी के अचरामऊ से मंगलवार को तड़के कुछ लड़कों को गिरफ्तार किया गया। पीएफआई सदस्य मो. फैजान, मो. सुफियान और रेहान के मोबाइल, व्हाट्सऐप और लैपटॉप से एसटीएफ को कई साक्ष्य मिले हैं। इसके बाद एसटीएफ अब अचरामऊ और उसके आस-पास के गांव में पीएफआई की फौज खड़ी करने वाले सरगना और गांव के प्रधान अरशद की तलाश में दबिश दे रही है। खुफिया एजेंसियों की पूछताछ में फैजान, सुफियान और रेहान ने कई अहम बाते बताई है। पीएफआई की इस घुसपैठ का मुख्य मकसद आरएसएस की गतिविधियों पर नजर रखना और संवेदनशील सूचनाओं को प्राप्त करना था। इसी के साथ सरकार और आरएसएस से जुड़ी सूचनाओं को अपने इस्लामिक देशों में बैठे आकाओं तक साझा किया जाना था।
पीएफआई से जुड़े कई लोग हुए अंडरग्राउंड
सभी को लक्ष्य दिया गया था कि मुसलमानों को एकजुट किया जाए। जिससे जल्द से जल्द हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाया जा सके। देश की आंतरिक शक्ति को कमजोर करने के लिए पीएफआई पूरी ताकत लगाना चाह रहा था। इसी के चलते यह लोग अधिक से अधिक मुस्लिम कट्टरपंथियों को जोड़ना चाहते थे। जिससे उन्हें मुस्लिम धर्म के नाम पर भड़काना आसान हो जाए। खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई के बाद बेहटा और उसके आसपास के गांव में पीएफआई से जुड़े सैकड़ों लोग पूरी तरह से अंडरग्राउंड हो गए हैं। वहीं कई गांवों में अब लोग पीएफआई का नाम लेने से भी कतरा रहे हैं।
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