डिजिटल प्रचार से नाराज हैं यूपी की कई पार्टीयां, सुविधाओं का अभाव है बड़ा मुद्दा

Published : Jan 09, 2022, 05:08 PM ISTUpdated : Jan 09, 2022, 06:02 PM IST
डिजिटल प्रचार से नाराज हैं यूपी की कई पार्टीयां, सुविधाओं का अभाव है बड़ा मुद्दा

सार

हम पहले ही अपनी बात जनता तक पंहुचा चुके हैं। हमारा संगठन ग्रासरूट लेवल पर तैयार है। हमारी फ़ौज  बस तारीखों के एलान का इंतज़ार कर रही थी। जब दस मार्च की तारीख को वोट गिने जाएंगे। तो पूरी ताकत से अखिलेश यादव सरकार बनाएंगे।  

लखनऊ: शनिवार को चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है। जिसके चलते चुनावी रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग ने दलों से आगे की तैयारी डिजिटल करने के निर्देश दे दिए हैं। जिससे कई दल खासा नाराज नजर आ रहे हैं। पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने इन्फ्रास्ट्रक्चर ना होने की बात कही थी वहीं अब सुभासपा (SBSP) के अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो वर्चुअल और डिजिटल प्रचार की नई व्यवस्था लागू की है। उसके लिए छोटे दलों पर पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

ओपी राजभर (OP Rajbhar) ने कहा कि हम इलेक्शन कमीशन से मांग करते है कि वह एक सिस्टम बनाए जिसमें सभी दलों को मीडिया के माध्यम से अपनी बात पब्लिक के आगे रखने का मौका मिले। हम पहले ही अपनी बात जनता तक पंहुचा चुके हैं। हमारा संगठन ग्रासरूट लेवल पर तैयार है। हमारी फ़ौज  बस तारीखों के एलान का इंतज़ार कर रही थी। जब दस मार्च की तारीख को वोट गिने जाएंगे। तो पूरी ताकत से अखिलेश यादव सरकार बनाएंगे।  

'वर्चुअल रैली के लिए नहीं है इन्फ्रास्ट्रक्चर' 
आपको बता दें कि कोरोना की रोकथाम के लिए देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब चुनावी रैलियों (Election Rallies) पर रोक लगाकर डिजिटल रैलियों (Digital Rally) के निर्देश दिए गए हैं।  चुनाव आयोग ने ये निर्देश दिया है कि 15 जनवरी तक किसी भी पार्टी रैली या रोड शो नहीं होगा। इसके बाद संक्रमण की स्थिति देखते हुए चुनाव आयोग इस निर्देश की समीक्षा करेगा। वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार करने के चुनाव आयोग के इस फरमान पर ओपी राजभर के अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी पहले ही सवाल खड़े कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने वर्चुअल रैली करने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए यह जरूरी है, लेकिन चुनाव आयोग को उन पार्टियों के बारे में भी सोचना चाहिए जिनके पार कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है, फिर भला वह वर्चुअल रैली कैसे करेंगे। इसलिए चुनाव आयोग को कुछ सहयोग देना चाहिए। चाहे चैनल के माध्यम से, विपक्ष के लोगों को ज्यादा समय दें और मुफ्त में समय दे।

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