यूपी का इलाहाबाद हाईकोर्ट अब रेलवे स्टेशनों, सड़कों, पार्को व अन्य सार्वजनिक स्थलों से मजारों व अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर सख्त नजर आ रहा है। इसी कारण वश सार्वजानिक स्थानों से धर्मस्थलों को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद हाईकोर्ट अब सार्वजनिक स्थानों से धर्मस्थलों को लेकर काफी सख्त नजर आ रहा है। रेलवे स्टेशनों, सड़कों, पार्कों व अन्य सार्वजनिक स्थलों से मजारों व अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। दरअसल सार्वजानिक स्थानों से धर्मस्थलों को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को अवैध अतिक्रमण को हटाकर जानकारी देने को कहा है। अब केंद्र समेत राज्य सरकार को जल्द से जल्द फैसला लेना होगा ताकि सुनवाई से पहले कोर्ट को सूचना दी जा सके।
अवैध अतिक्रमण हटाकर मांगी है जानकारी
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को मोहलत देते हुए मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी तय की है। यह याचिका जन उद्घोष सेवा संस्थान एवं पांच अन्य की ओर से दाखिल की गई थी। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ में हुई। केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए और मोहलत मांगी गई जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 16 जनवरी की तारीख तय कर दी। इसके अलावा हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से अवैध अतिक्रमण हटाकर जानकारी देने को कहा है।
याचिका में की गई है ये मांग
हाईकोर्ट में जन उद्घोष सेवा संस्थान एवं पांच अन्य की ओर से दाखिल याचिका में याचियों का कहना है कि कानपुर, लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य रेलवे स्टेशनों पर व पटरियों के किनारे बीच में भी मजारें बनी हुई हैं। इस वजह से सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे निर्माणों की वजह से दुर्घटना की प्रबल संभावना रहती है। इसी कारणवश सार्वजनिक स्थान से ऐसे निर्माणों को हटाया जाए। याचियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील हरि शंकर जैन और विष्णु जैन ने बहस को पूरा किया। कोर्ट ने अगली तारीख 16 जनवरी निर्धारित कर दी है।
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