कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर चिंतित हैं प्रियंका गांधी, सीएम योगी को भेजी चिट्ठी, दिए कुछ ऐसे 10 सलाह

प्रियंका गांधी ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलें हैं। कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती। 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं। पूरी दुनिया में कोरोना की ये जंग चार स्तंभों पर टिकी है- जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण। यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हराएंगे?

Asianet News Hindi | Published : Apr 27, 2021 12:33 PM IST

लखनऊ (Uttar Prades) । यूपी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने अपनी चार बड़ी चिंताएं जाहिर की है। महामारी को रोकने के लिए 10 सलाह-सुझाव भी दिया है। साथ ही कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने भयानक रूप में है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तबाही चरम पर है।

प्रियंका गांधी के 10 सुझाव
-इस महाविपदा को रोकिए। हम अपने स्तर पर हर जिले में जनता की यथासंभव मदद कर रहे हैं। मैं आपको तत्काल कार्रवाई योग्य कुछ सुझाव दे रही हूं। मुझे आशा है कि आप इन पर सकारात्मक ढंग से विचार करेंगे।

- सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए।

-सभी बंद किए जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करेंऔर युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन-युक्त बेड की उपलब्धता बढ़ाएं। प्रादेशिक सेवा से निवृत्त हुए सभी चिकित्साकर्मियों, मेडिकल व पैरा-मेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाए।

-कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने के बजाय श्मशान, कब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए। RTPCR जांच की संख्या बढ़ाएं। सुनिश्चित करें कि कम से कम 80% जांच RTPCR द्वारा हों। ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों से उनकी मदद करें।

-आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवाई जाए, ताकि लोगों को सही समय पर शुरूआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और अस्पताल जाने की नौबत ही न आये। जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए। महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयों के रेट फिक्स किए जाएं।

-ऑक्सीजन के भंडारण की एक नीति तुरंत बनाई जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भंडार तैयार हो सके। हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एम्बुलेंस का स्टेटस दिया जाए ताकि परिवहन आसान हो सके।

-इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोजी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए।

-प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो। प्रदेश की 60% आबादी का टीकाकरण करने के लिए यूपी को कम से कम 10,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसलिए मैं आपसे बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने का आग्रह करती हूं।

-कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं। दूसरी लहर में उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाए ताकि वे भी खुद को संभाल सकें।

-यह सबकी मदद लेने, सबका साथ देने, सबका हाथ थामने का समय है। इस समय आपकी सरकार को लोगों, दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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