अयोध्या में छह दिसम्बर को विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर इस साल से 'शौर्य दिवस' नहीं मनाने की अपील करते हुए कहा कि अदालत से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद अब 'खुशी और गम' जैसे कार्यक्रमों का कोई औचित्य नहीं है
अयोध्या: राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने अयोध्या में छह दिसम्बर को विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर इस साल से 'शौर्य दिवस' नहीं मनाने की अपील करते हुए कहा कि अदालत से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद अब 'खुशी और गम' जैसे कार्यक्रमों का कोई औचित्य नहीं है। महंत दास ने यहां एक बयान में कहा कि नौ नवंबर को देश की सबसे बड़ी अदालत ने श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। ऐसे मे छह दिसम्बर को "खुशी और गम" जैसे कार्यक्रमों का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के दौरान जिस प्रकार सभी देशवासियों ने एक साथ मिलकर सम्पूर्ण विश्व को शान्ति और आपसी समन्वय का संदेश दिया, ठीक उसी तरह आगामी छह दिसम्बर को भी हम किसी प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन कर तनाव का माहौल न बनने दें। महंत ने कहा कि वर्ष 1528 की क्रिया में छह दिसंबर 1992 को प्रतिक्रिया हुई थी। अब दोनों तिथियों पर हुए घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति राष्ट्र और समाजहित में नहीं होनी चाहिए।
किसी प्रकार का मतभेद नहीं
इस बीच, विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि उनका संगठन भी अब छह दिसम्बर को 'शौर्य दिवस' नहीं मनाएगा। मालूम हो कि छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा ढहाये जाने के बाद से विश्व हिन्दू परिषद समेत कई हिन्दू संगठन हर साल इस दिन 'शौर्य दिवस' मनाते रहे हैं। वहीं, मुस्लिम संगठन इसे 'यौम—ए—गम' के तौर पर याद करते हैं। महंत दास ने कहा मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होने वाली शिलाओं की नक्काशी के काम को जल्द ही तेज किया जायेगा।''फिलहाल हमारा ध्यान अभी न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार को दिये गए निर्देशों पर केन्द्रित है।''
उन्होंने कहा कि अयोध्या के संत धर्माचार्यों मे ट्रस्ट संबंधित न्यायालय के निर्देश को लेकर किसी प्रकार का मतभेद नहीं है। वर्तमान सरकार पर सभी को भरोसा है। सभी संत भगवान श्रीराम लला को भव्य मंदिर में विराजमान कराने के लिये एकजुट हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)