16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिनचले गांव में दो साधुओं समेत तीन की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। यह पूरी घटना वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। आरोपियों ने साधुओं के साथ पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया। इसके बाद साधुओं को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
भदोही (Uttar Pradesh)। महाराष्ट्र के पालघर में पांच दिन पहले जूना अखाड़े के जिन दो संतों की पुलिस के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी वे यूपी के निवासी हैं। इनमें एक कल्पवृक्ष गिरि महाराज (65) वेदपुर गांव के निवासी थे। परिवार के मुताबिक वह कक्षा तीन में थे। इसी समय 10 साल की आयु में अचानक घर छोड़कर संन्यास ले लिया था।
कृष्ण से ऐसे बने कल्पवृक्ष गिरि महाराज
संत कल्पवृक्ष गिरी यहां ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के वेदपुर गांव निवासी चिंतामणि तिवारी के पुत्र थे। परिवर के लोग उन्हें प्यार से कृष्णचंद्र बुलाते थे। परिवार के लोगों के मुताबिक वह 10 वर्ष की आयु में अचानक गायब हो गए थे। बाद में संत-महात्माओं के साथ जूना अखाड़ा में जाकर संत हो गए।
30 साल बाद परिवार के लोगों से हुई थी मुलाकात
संत कल्पवृक्ष गिरि महाराज के छोटे भाई राकेश चंद्र तिवारी ने बताया कि लगभग 30 वर्ष पहले नासिक के जोगेस्वरी मंदिर में एक भंडारे में उनके कुछ परिचित गए थे। उन्होंने ही महाराज के वहां होने की सूचना घर वालों को दी थी। इसके बाद घर के लोगों ने वहां जाकर उनसे मुलाकात की और वापस आने के लिए काफी मनाया। लेकिन, उन्होंने आने से मना कर दिया था।
पालघर ने किया अंतिम संस्कार
16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिनचले गांव में दो साधुओं समेत तीन की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। यह पूरी घटना वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। आरोपियों ने साधुओं के साथ पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया। इसके बाद साधुओं को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। लॉकडाउन के चलते भदोही में रहने वाले उनके परिजन महाराष्ट्र नहीं जा पाए। पालघर में रहने वाले उनके भाई दिनेश चंद्र ने पोस्टमार्टम के बाद शव को नाशिक के त्र्यंबकेश्वर नाथ में समाधि दिलाई।