माघ मेला में इसलिए बुलाए गए देशभर से 2 हजार बड़े संत, 21 जनवरी को 4 घंटे के सम्मेलन में होगा ये फैसला

Published : Jan 16, 2020, 05:21 PM ISTUpdated : Jan 19, 2020, 10:39 AM IST
माघ मेला में इसलिए बुलाए गए देशभर से 2 हजार बड़े संत, 21 जनवरी को 4 घंटे के सम्मेलन में होगा ये फैसला

सार

बता दें कि इसके पहले विहिप की ओर से कुंभ और अर्धकुंभ में ही संत सम्मेलन तथा धर्म संसद का आयोजन होता था। इस साल श्रीराम जन्म भूमि मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर माघ मेला में भी विहिप संत सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है।  

प्रयागराज (Uttar Pradesh) । माघ मेला में पहली बार विश्व हिंदू परिषद की ओर से 21 जनवरी को संत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। चार घंटे तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश भर के करीब दो हजार बड़े संत-महात्मा बुलाए जा रहे हैं। जिन्हें आमंत्रण भी भेज दिया गया है। इनमें ज्यादातर ने यहां आने की सहमति प्रदान कर दी है। विहिप से जुड़े लोगों ने बताया कि 17 जनवरी से बड़े पदाधिकारी आने लगेंगे। ज्यादातर संत-महात्मा 20 जनवरी को ही आ जाएंगे, जिनके ठहरने की व्यवस्था कराई जा रही है।

इस रूप में बुलाए गए हैं सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में आमंत्रण भेजकर बुलाया गया है। पिछले साल कुंभ के दौरान विहिप की ओर से आयोजित संत सम्मेलन में सीएम योगी ने शिरकत भी की थी।

20 को मार्गदर्शक मंडल की होगी बैठक
सम्मेलन में राम मंदिर निर्माण की तिथि की घोषणा की जाएगी। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट को लेकर गंभीर चर्चा भी की जाएगी। संत सम्मेलन की सफलता के लिए 17 और 18 को लखनऊ क्षेत्र के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।

दो दिन में हुईं 40 से ज्यादा बैठकें
शिविर में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक और संत सम्मेलन के लिए पंडाल तैयार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि पिछले दो दिनों में विहिप की 40 से ज्यादा बैठकें हुईं हैं, जिनमें संत सम्मेलन को सफल बनाने की रणनीति तय की गई।


मॉडल के आधार पर मंदिर के निर्माण पर होगा जोर

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने के मॉडल को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा गया है। इसे विहिप ने सीतापुर के कलाकारों से तैयार कराया है। अनावरण के समय विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा था कि जिस मॉडल को 1989 में कुंभ के दौरान प्रयाग में रखा गया था, उसी मॉडल का यह स्वरूप है। इसी मॉडल के आधार पर भव्य मंदिर का निर्माण होना है। उसे परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उसके पत्थर 20 वर्ष से तराश कर तैयार किए गए हैं।

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