बीटेक के बाद इस शख्स ने किया था MBA, फिर कुछ ऐसा हुआ कि ले लिया संन्यास

प्रयागराज में संगम  किनारे माघमेला चल रहा है।  पूरे देश से साधु सन्यासी मेले में कल्पवास कर रहे हैं। यहां हर शिविर में राम कथा और श्रीमद भागवत कथा चल रही है। माघ मेला क्षेत्र में सेक्टर 5 में अन्नपूर्णा हरिश्चंद्र मार्ग पर भव्य राम कथा चल रही है। यह कथा पूरे देश में ख्याति पा चुके  स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज सुना रहे हैं। जहां रोजाना हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो रही है। कभी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज से ASIANET NEWS HINDI ने बात किया

Ujjwal Singh | Published : Jan 21, 2020 10:04 AM IST / Updated: Jan 25 2020, 10:11 AM IST

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). प्रयागराज में संगम  किनारे माघमेला चल रहा है।  पूरे देश से साधु सन्यासी मेले में कल्पवास कर रहे हैं। यहां हर शिविर में राम कथा और श्रीमद भागवत कथा चल रही है। माघ मेला क्षेत्र में सेक्टर 5 में अन्नपूर्णा हरिश्चंद्र मार्ग पर भव्य राम कथा चल रही है। यह कथा पूरे देश में ख्याति पा चुके  स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज सुना रहे हैं। जहां रोजाना हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो रही है। कभी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज से ASIANET NEWS HINDI ने बात किया। इस दौरान उन्होंने अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर से मानस मर्मज्ञ होने की पूरी कहानी शेयर किया। 

प्रणव पुरी जी महराज मूलतः यूपी के सुल्तानपुर जिले के  रहने वाले हैं। उनके पिता स्वामी अखिलेश्वरानंद जी महाराज (अंगद जी) भी  बहुत बड़े राम कथा वाचक थे। स्वामी प्रणव पुरी जी ने उन्ही के आदर्शों पर चलते हुए रामकथा में मर्मज्ञता पायी। हांलाकि उनके जीवन के कई घटनाएं काफी अजीबोगरीब हैं। उन्होंने पढ़ाई के दौरान कभी भी पिता की तरह रामकथा वाचक बनने के बारे भी नहीं सोचा था। 

बीटेक- एमबीए करने के बाद शुरू की जॉब 
स्वामी प्रणव पुरी जी बताते हैं "मैंने ये कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मै कभी मानस मर्मज्ञ बनूंगा। पिता जी ख्याति प्राप्त मानस मर्मज्ञ थे। लेकिन मेरी शुरू  से ही रूचि अपनी पढ़ाई व नौकरी में रही थी। इसलिए मैंने साल 2011 में पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्राइवेट कम्पनी में अच्छी सेलेरी पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब शुरू की। मैंने तकरीबन 1 साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की।"

MBA में नहीं सुना पाए थे मानस की एक भी चौपाई 
स्वामी प्रणव पुरी बताते हैं "साल मै एक बार MBA का इंटरव्यू देने गया था। वहां मुझसे पूंछा गया आपके पिता जी क्या करते हैं ,तो मैंने जवाब दिया कि वो रामकथा वाचक हैं। जिस पर इंटरव्यूवर ने मुझसे श्रीराम चरित मानस की कोई भी एक चौपाई  सुनाने को कहा। लेकिन मै एक भी चौपाई पूरी नहीं सुना सका। मैंने कोशिश बहुत की लेकिन कोई भी चौपाई मुझे पूरी याद ही नहीं थी। जिसके बाद इंटरव्यूवर मुझ पर हंस पड़े थे।" 

पिता से पूंछा मानस की चौपाई 
प्रणव पुरी जी बताते हैं "मै घर आया और मैंने पिता जी से पूरा वाकया बताया और उनसे एक चौपाई बताने को कहा जो  बोलने में सरल हो और आसानी से याद हो जाए। लेकिन पिता जी ने मुझे एक ऐसी चौपाई सुनाई जो  बोलने में बहुत कठिन थी। जिससे मुझे काफी परेशानी हुई। लेकिन उस समय मुझे ये नहीं पता था कि आने वाले समय में इन्ही चौपाइयों में मेरा पूरा जीवन समाहित होने का रहा है।" 

पिता की मौत के बाद बदल गई जिंदगी 
स्वामी प्रणव पुरी जी बताते हैं "साल 2012 में मेरे पिता जी का निधन हो गया। मै उनका अंतिम संस्कार करने के लिए प्रयागराज के गंगा घाट पर आया हुआ था। 
 यहां आने के बाद पिता जी के अंतिम संस्कार करने के दौरान ही मेरे मन में पता नहीं क्या ख्याल आया मुझे लगा कि यह पूरा संसार ही एक मिथ्या है। मेरा मन सांसारिक जीवन,नौकरी-चाकरी से विरत होने लगा।  जिसके बाद मैंने नौकरी छोड़ दी और मै अध्यात्म की ओर मुड़ गया।" 

महानिर्वाणी अखाड़े मे लिया संन्यास 
प्रणव पुरी जी ने बताया कि "जब मेरा मन अध्यात्म की ओर मुड़ा तो मैंने सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े से सन्यास ले लिया। उसके बाद मै कुरुक्षेत्र गया थानेश्वर महादेव धाम में प्रभात पुरी और बंशी पुरी जी के निर्देशन में काफी कुछ सीखा। इसके बाद मैंने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी सभी पवित्र ग्रंथों का मैंने गहन अध्ययन किया।'' 

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