अयोध्या में 500 सालों के बाद सूर्यवंशी क्षत्रिय अपनी परम्परागत पोशाक पहनेगे। जिले के लगभग 150 गांवों में रहने वाले सूर्यवंशी क्षत्रिय अब सर पर पगड़ी व पैरों में चमड़े के जूते पहनेंगे
अयोध्या(Uttar Pradesh ). अयोध्या में 500 सालों के बाद सूर्यवंशी क्षत्रिय अपनी परम्परागत पोशाक पहनेगे। जिले के लगभग 150 गांवों में रहने वाले सूर्यवंशी क्षत्रिय अब सर पर पगड़ी व पैरों में चमड़े के जूते पहनेंगे। इन गांवों में घर-घर जाकर और सार्वजनिक सभाओं में क्षत्रियों को पगड़ियां बांटी जा रही हैं।इनका कहना है कि सैकड़ों साल के बाद हमारी शपथ पूरी हुई है और राम मंदिर बनने का रास्ता प्रशस्त हुआ है।
गौरतलब है कि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद पूरे देश में साधू संत व हिन्दू उत्साहित हैं। अयोध्या में ब्लाक बाजार व उसके आस पास के लगभग 150 गांवों में सूर्यवंशी क्षत्रियों की आबादी रहती है। भगवान राम भी सूर्यवंश से थे इसलिए ये क्षत्रिय भी खुद को राम का वंशज मानते हैं। मंदिर बनाए जाने के फैसले के बाद इस समूह में काफी उत्साह है। सालों बाद ये अपनी के शपथ तोड़ने जा रहे हैं।
500 सालों पहले ली थी ये शपथ
बताया जाता है कि सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट में मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद उनकी ये शपथ पूरी हुई है। सूर्यवंशी क्षत्रियों का कहना है कि अब उनकी शपथ पूरी हुई है इसलिए वह अब फिर से पगड़ी बांधेंगे और चमड़े के जूते पहनेंगे।
शुरू हुआ पगड़ियों के बंटने का सिलसिला
ब्लाक बाजार में रहने वाले रवींद्र सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारे पूर्वजो की शपथ पूरी हुई है। कई गांवों में पगड़ियां बांटी जा रही हैं जहां सूर्यवंशी क्षत्रियों का परिवार रहता है। अब हमें भी अपने पूर्वजों की शपथ पूरी होने से काफी खुशी हो रही है।
शादियों में भी नहीं पहनते थे पगड़ी
सरायरासी के रहने वाले एडवोकेट बासुदेव सिंह बताते हैं कि सरायरासी में कोर्ट के फैसले के बाद से अब तक 400 से अधिक पगड़ी बांटी जा चुकी हैं। समाज के करीब डेढ़ लाख लोग यहां आसपास के गांवों में रहते हैं। इतने वर्षो तक सूर्यवंशी क्षत्रियों ने शादी में भी पगड़ी नहीं बांधी है। किसी ही समारोह में भी वह संकल्प के मुताबिक़ पगड़ी नहीं पहते हैं।
सूर्यवंशी गज सिंह ने ली थी प्रतिज्ञा
सूर्यवंशी घराने के ठाकुर रघुवीर सिंह के मुताबिक़ उनके पूर्वज ठाकुर गज सिंह के नेतृत्व में 16 वीं शताब्दी में क्षत्रिय समाज ने मुगलों से युद्ध किया था। मंदिर को बचाने के लिए किये गए इस युद्ध में हमे हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद गजसिंह ने पगड़ी व जूते न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। तब से ये प्रथा आज भी चली आ रही है।