उत्तर प्रदेश की राम नगरी अयोध्या में राम जन्म भूमि परिसर से सटा प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गया है। इसको बंद होने का कारण है कि पूरी की परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान की स्नान यात्रा होती है।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: राम जन्मभूमि परिसर से सटा प्राचीन भगवान जगन्नाथ भगवान के मंदिर का कपाट कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर के महंत राघव दास रामायणी इसके पीछे का कारण बताते हुए कहते हैं कि पूरी की परंपरा में ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान की स्नान यात्रा होती है। स्नान के बाद भगवान 14 दिनों तक अस्वस्थ रहते हैं। इन दिनों में उनकी रसोई भी बंद रहती है। इस परंपरा के जो मंदिर है उनमें 7 दिनों का विधान योगिनी एकादशी से परंपरा का निर्वहन शुरू होता है। इसलिए कुछ दिनों के लिए मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है। महंत के मुताबिक त्रिलोक स्वामी को अस्वस्थता के कारण आषाढ़ शुक्ल अमावस्या तक काढ़ा का भोग लगाया जाएगा।
ठीक होने पर भगवान को लगेगा खिचड़ी का भोग
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा उनका स्वास्थ्य ठीक होने पर उन्हें खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। पुनः आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को उनके स्वस्थ होने की खुशी में रथयात्रा महोत्सव का आयोजन धूमधाम से होगा। इसी दिन मध्यान्ह में 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगेगा और भंडारा होगा। इसके अलावा उन्होंने बताया शाम को रथयात्रा के बाद फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी और रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
दो साल बाद धूमधाम से 30 जून को निकलेगी यात्रा
वैष्णो नगरी अयोध्या में भगवान जगन्नाथ के इस प्रधान स्थान के अलावा कुछ और मंदिर जगन्नाथ पुरी परंपरा से जुड़े हुए हैं। इसी मंदिर से सटा एक मंदिर और है जिसे राम कचेहरी चारोधाम के नाम से जाना जाता है। यह भी प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला में है। यह दोनों मंदिर रामलला का मंदिर परिसर से सटे हैं। फिलहाल उड़ीसा के पूरी परंपरा में इन सभी स्थानों के अलावा दूसरे स्थानों से भी आषाढ़ शुक्ल द्वितीय के पर्व पर परंपरागत रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष रथ यात्रा 30 जून को प्रस्तावित है ।जिसकी तैयारियां की जा रही है। इससे पहले 2 वर्षों में कोविड-19 के कारण परंपरा का निर्वाहन सीमित किया गया था। अयोध्या के एक दर्जन से अधिक मंदिरों यात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी। जिसका भक्त जगह-जगह स्वागत करेंगे।