बड़े से बड़े जानकार भी नहीं समझ सके मंदिर की चित्रकारी का रहस्य,अब इसी तर्ज पर तराशे जा रहे राम मंदिर के लिए पत्थर

अयोध्या में सरयू नदी के किनारे बना पत्थर मंदिर आज भी एक रहस्य है। 18 वीं शताब्दी के में बना यह पत्थर मंदिर अपने चित्र कारियों और खास पेंटिंग्स के लिए खासा चर्चित है

Ujjwal Singh | Published : Nov 24, 2019 9:52 AM IST / Updated: Nov 25 2019, 10:52 AM IST

अयोध्या (Uttar Pradesh). अयोध्या में सरयू नदी के किनारे बना पत्थर मंदिर आज भी एक रहस्य है। 18 वीं शताब्दी के में बना यह पत्थर मंदिर अपने चित्र कारियों और खास पेंटिंग्स के लिए खासा चर्चित है। मन्दिर में भगवान विष्णु के दशावतार का वर्णन चित्रकारी के द्वारा किया गया है। मंदिर को दोबारा पेंट कराने के लिए कोशिश की गई लेकिन कोई भी पेंटर इसकी चित्रकारी पर की गई पेंटिंग जैसे नहीं कर सका। देश के बाहर से भी बड़े से बड़े पेंटर बुलाए गए। लेकिन सब फेल रहे।

अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि के अलावा भी ऐसे कई स्थान हैं जो कि अपने आप मे अद्वितीय हैं। ऐसे ही एक स्थान भगवान राम का पत्थर मंदिर है। इस मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं। मंदिर को 1986 में गाजीपुर के रहने वाले ठाकुर प्रसाद नायक ने बनवाया था।मंदिर के महंत मनीष दास जी ने बताया कि ठाकुर प्रसाद नायक एक जमींदार थे और उन्होंने स्वयं के पूजा के लिए यह भव्य मंदिर बनवाया था। लेकिन बाद में उन्होंने इसे अयोध्या के संतों को समर्पित कर दिया। 

Latest Videos

मंदिर निर्माण में नही हुआ है ईंट व सीमेंट का प्रयोग
इस मंदिर की विशेषता यह है की पूरा मंदिर पत्थरों से बनाया गया है। इस मंदिर में कहीं भी सीमेंट या ईंट का प्रयोग नहीं हुआ है। इसमें पत्थरों को तराश कर उसमे इस तरह डिजाइन बनाई गई है जिससे पत्थर एक से दूसरे में फंस जाएं। 18 वीं शताब्दी में बना ये मंदिर उस समय आकर्षण केंद्र हुआ करता था। 

इसी तकनीक से अब नए राम मंदिर के लिए तराशे जा रह पत्थर
 अयोध्या के प्राचीन पत्थर मंदिर में जिस तरह से कटिंग वाले पत्थरों का उपयोग कर निर्माण किया गया है उसी तरह कारसेवक पुरम में विहिप द्वारा पत्थर तरशवाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि जिस तकनीक पर पत्थर मंदिर का निर्माण हुआ है उसी तकनीक पर राम मंदिर बनाया जा सकता है। 

 भगवान राम के जन्म से राज तिलक तक का चित्रकारी के द्वारा हुआ है वर्णन
मंदिर की दीवारों पर भगवान विष्णु के दशावतार का वर्णन चित्रकारी के द्वारा समझाया गया है। सबसे खास बात यह है इसमें भगवान राम के जन्म से लेकर के विवाह तक का वर्णन है। इसके अलावा वनवास से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या के राज्य अभिषेक का वर्णन चित्रकारी के द्वारा बताया गया है।

संकरी गलियां होने के कारण नहीं आते श्रद्धालु 
मंदिर के महंत मनीष दास जी ने बताया किया मंदिर का रास्ता अयोध्या की बेहद सकरी गलियों से होता हुआ आता है। जिसके कारण यहां पर श्रद्धालुओं की आवाजाही ना के बराबर होती है। उनका कहना है कि इस तरह के प्राचीनतम धरोहरों का समुचित प्रचार-प्रसार होना चाहिए।जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालु व पर्यटक इस अनमोल धरोहर को भी देख सकें। उन्होंने सरकार से इसके लिए मांग भी की है।

Share this article
click me!

Latest Videos

Almora Bus Accident: मंजिल तक पहुंचने से पहले ही खत्म हुए सफर... जानें क्यों तनाव में था ड्राइवर
Tulsi Vivah 2024: कब है तुलसी विवाह, जानें पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त
LIVE: प्रियंका गांधी ने तिरुवंबदी के कोडेनचेरी में सुखनेर सभा को संबोधित किया
यूपी मदरसा कानून पर आ गया 'सुप्रीम' फैसला, लाखों छात्रों का जुड़ा था भविष्य । SC on UP Madarsa
Rahul Gandhi LIVE : तेलंगाना में जाति जनगणना पर राज्य स्तरीय परामर्श को सम्बोधन