भगवान कृष्ण के नाम पर नहीं गिरा सकते हजारों पेड़, घूमकर जाएगी सड़क तो होगी ज्यादा सुरक्षित

चीफ जस्टिस एस बोबडे ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि पेड़ों की वैल्यू समय यह भी ध्यान में रखें कि अपनी पूरी उम्र में उस पेड़ ने प्रकृति को कितनी ऑक्सीजन दी है। जिन हजारों पेड़ों को गिराने का प्रस्ताव दिया है, उनकी उम्र और ऑक्सीजन करने की क्षमता के आधार पर वैल्यूएशन करें। अगर सड़कों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देंगे तो इस तरह से ये पेड़ों और जिंदगियों को ही बचाएंगी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2020 3:09 AM IST / Updated: Dec 03 2020, 08:44 AM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh) । सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने बुधवार को तल्ख टिप्पणी की है। मथुरा में प्रस्तावित कृष्ण गोवर्धन रोड़ प्रोजेक्ट पर सुनवाई करते हुए कहा कि आप भगवान कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ नहीं गिरा सकते हैं। सड़कें पेड़ों के पास से घूमकर क्यों नहीं जा सकती हैं? इससे तो केवल स्पीड ही कम होगी। अगर स्पीड कम होगी तो इससे एक्सीडेंट भी कम होंगे और ये ज्यादा सुरक्षित रहेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश पीडब्लूडी ने पेड़ों की काटने की मंजूरी मांगने के लिए एप्लीकेशन दाखिल की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के संबंध में केंद्रीय समितियों ने मंजूरी दे दी है। लेकिन चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा- यह तो साफ है कि रोड के रास्ते में आने वाले पेड़ों को अगर नहीं काटा गया तो सड़क सीधी नहीं बनेगी और उस पर रफ्तार से गाड़ियां नहीं दौड़ सकेंगी। यह ऐसा प्रभाव तो नहीं है, जो कि हानिकारक हो।
 
सरकार को दिए ये निर्देश
चीफ जस्टिस एस बोबडे ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि पेड़ों की वैल्यू समय यह भी ध्यान में रखें कि अपनी पूरी उम्र में उस पेड़ ने प्रकृति को कितनी ऑक्सीजन दी है। जिन हजारों पेड़ों को गिराने का प्रस्ताव दिया है, उनकी उम्र और ऑक्सीजन करने की क्षमता के आधार पर वैल्यूएशन करें। अगर सड़कों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देंगे तो इस तरह से ये पेड़ों और जिंदगियों को ही बचाएंगी।

प्लांटेशन करने की बात पर कोर्ट ने क्या गया
पीडब्लूडी ने भरोसा दिलाया है कि वो काटे गए पेड़ों की जगह दूसरी जगहों पर प्लांटेशन करके भरपाई करेंगे और इस तरह से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत केवल आंकड़ों वाले हर्जाने को स्वीकार नहीं कर सकती है, क्योंकि सरकार और विभाग दोनों ने ही पेड़ों की प्रकृति के बारे में नहीं बताया है कि ये झाड़ियां हैं या फिर बड़े पेड़।
 

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