Inside Story: यूपी चुनाव में जानिए उन्नाव की बांगरमऊ, सफीपुर और भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र का हाल

यूपी चुनाव को लेकर बांगरमऊ, सफीपुर और भगवंतनगर विधानसभा में लगातार चुनाव प्रचार अभियान जारी है। प्रत्याशी लगातार जनता के बीच जाकर वोट अपील में लगे हुए हैं। व्यापार और विकास की दृष्टि से कभी मिनी दिल्ली के नाम से मशहूर बांगरमऊ को जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का खामियाजा झेलना पड़ा।

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2022 10:27 AM IST / Updated: Feb 21 2022, 06:19 PM IST

उन्नाव: यूपी चुनाव को लेकर लगातार सभी दलो की तैयारी जारी है। इसी बीच उन्नाव में चौथे चरण में मतदान होना है। उन्नाव की बांगरमऊ, सफीपुर और भगवंतनगर विधानसभा हमेशा से ही चर्चाओं में रही है। आइए जानते हैं तीनों विधानसभा से जुड़ी खास बातें।

1- बांगरमऊ विधानसभा
व्यापार और विकास की दृष्टि से कभी मिनी दिल्ली के नाम से मशहूर बांगरमऊ को जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का खामियाजा झेलना पड़ा। न तो मंडी का विकास हुआ और ना तो ऐसी कोई मार्केट बनी जिसमें अनाज और कृषियंत्र बाजार की पहचान का दायरा बढ़ता। हालांकि यहां के रहने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता फारुख अहमद के प्रयासों से सात साल पहले तहसील का दर्जा मिलने के साथ ही एक बस स्टेशन मिला है। 

बांगरमऊ के लोगों ने सबसे ज्यादा पांच बार कांग्रेस को मौका दिया। जबकि सपा और बसपा को दो-दो बार और भाजपा को एक बार आम चुनाव और 2020 में हुए उपचुनाव में भापजा को मौका दिया। 1962 में बांगरमऊ स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र बना। पहले चुनाव में काग्रेस के सेवकराम ने सीपीआई के मुल्ला प्रसाद को हराया। 1967 में बीजेएस के एस गोपाल ने कांग्रेस के गोपीनाथ दीक्षित को हराया। 1969 में गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस से विधायक बने। 1974 में काग्रेस को हार का सामाना करना पड़ा। बाद में 1980, 1985 और 1991 में  कांग्रेस के टिकट पर गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने। इसके बाद यहां की जनता ने कांग्रेस को तरजीह नहीं दी। 1996 और 2002 के चुनाव में बसपा और 2007 व 2012 में सपा ने कब्जा किया। खास बात यह है कि बांगरमऊ की नुमाइंदगी करने वालों को तत्कालीन सरकारों ने काफी तरजीह दी। गोपीनाथ दीक्षित 1969 में गृहराज्यमंत्री बने। 1993 में अशोक सिंह बेबी स्वास्थ्य मंत्री और इसके बाद बसपा के रामशंकर पाल लघुसिंचाई मंत्री बने।

वर्तमान में श्रीकांत कटियार भाजपा से विधायक हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर कुलदीप सिंह सेंगर जीते थे। लेकिन उनपर किशोरी से दुष्कर्म का दोष साबित होने पर न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई। उनके सजायाफ्ता होने से खाली हुई सीट पर वर्ष 2020 में उपचुनाव हुआ। जिसमे भाजपा प्रत्याशी श्रीकांत कटियार की जीत हुई। श्रीकांत भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

विधानसभा क्षेत्र की खासियत
शहीद गुलाब सिंह लोधी पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, जिले का अकेला जवाहर नवोदय विद्यालय, जिले का पहला राजकीय डिग्री कालेज, बड़ी गल्लामंडी, कृषियंत्र उद्योग।

बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा
कुल मतदाता- 344849
पुरुष- 188373
महिला-156446
अन्य- 30
साक्षरता दर- 65 फीसदी

जातीय समीकरण (अनुमानित)
ब्राह्मण 24 हजार
ठाकुर 18 हजार
पाल 38 हजार
लोध/निषाद  33 हजार
मुस्लिम 58 हजार
पासी 26 हजार
कुरील  34 हजार
काछी 24 हजार
यादव 20 हजार
अन्य पिछड़ी जातियां 55 हजार

अब तक के विधायक
1962 सेवाराम कांग्रेस
1967 एस गोपाल भारतीय जनसंघ
1969 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस
1974 राघवेंद्र सिंह भरतीय क्रांति दल
1977 जगदीश प्रसाद जनता पार्टी
1980 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस
1985 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस
1989 अशोक सिंह जनतादल
1991 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस
1993 अशोक सिंह एसपी
1996 रामशंकर पाल बीएसपी
2002 रामशंकर पाल बीएसपी
2007  कुलदीप सिंह  एसपी
2012 बदलू खां  एसपी
2017 कुलदीप सेंगर  भाजपा
2020 उपचुनाव श्रीकांत कटियार भाजपा

2- सफीपुर विधानसभा क्षेत्र
दो बार सरकार में शामिल होने के बाद भी सफीपुर में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हुआ। 1969 में अनवार अहमद फिर 2015 में यहां से विधायक सुधीर रावत स्वास्थ्य मंत्री बने। यहां महिलाओं के लिए अलग अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाई। वहीं अभी तक डिग्री कालेज भी नहीं खुल सका। क्षेत्र के मतदाताओं ने कांग्रेस, लोकदल, जनता पार्टी, भाजपा और सपा को मौका दिया लेकिन विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अपेक्षा के अनुसार पूरी नहीं हो पाईं। 1951 से 9162 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने। मतदाताओं ने 1969 और 1974 में बीकेडी पर भरोषा जताया और विधायक चुना। 1989 और 1991 में जनतादल के सुंदरलाल विधायक बने। वहीं 1993 और 1996 में जनता ने भाजपा को भरोसा जताया। वहीं  2002 में शुरू हुआ सपा की जीत का सिलसिला 2012 के चुनाव में भी कायम रहा। 2017 में भाजपा की जीत हुई और बंबालाल दिवाकर विधायक चुने गए
 
विधायक का प्रोफाइल
बंबालाल दिवाकर पहली बार विधायक बने हैं। उनका विदेश व देश में कई स्थानों पर चश्मा का बड़ा कारोबार है। 2017 से पहले वह सक्रिय राजनीति में नहीं रहे। 

सफीपुर विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा
कुल मतदाता- 334743
पुरुष-185645
महिला-149093
अन्य- 05
साक्षरता दर- 60 फीसदी

विधानसभा क्षेत्र की खासियत
नवाब आशफुद्दौला द्वारा निर्मित कराया गया इमामबाड़ा, देश-विदेश में विख्यात मखदूम शाह सफवी की मजार, कस्बा स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर, साहित्यकार भगवती चरण वर्मा, दशहरी, चौसा और सफेदा आम।

अब तक के विधायक
१९५१ मोहनलाल  कांग्रेस
१९५७ शिवगोपाल  निर्दलीय
1962 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस
1967 बांगरमऊ में शामिल हो गई थी सफीपुर विधानसभा
1969 अनवार अहमद भारतीय क्रांति दल
1974 सुंदरलाल  भारतीय क्रांति दल
1977 सुंदरलाल  जनता पार्टी
1980 हरप्रसाद  कांग्रेस
1985 सुंदरलाल  लोकदल
1989 सुंदरलाल  जनता दल
1991 सुंदरलाल  जनता दल
1993 बाबूलाल  भारतीय जनता पार्टी
1996 बाबूलाल  भारतीय जनता पार्टी
2002 सुंदरलाल  समाजवादी पार्टी
2007 सुधीर कुमार  समाजवादी पार्टी
2012 सुधीर कुमार  समाजवादी पार्टी

जातीय समीकरण (अनुमानित)
रावत 73 हजार
रैदास 67 हजार
ब्रह्मण 36 हजार
मुस्लिम 31 हजार
क्षत्रिय 22 हजार
वैश्य 16 हजार
लोधी 32 हजार
यादव 20 हजार

3- भगवंतनगर विधानसभा
बैसवारा का गौरवमयी इतिहास संजोए जिले की सबसे बड़ी विधानसभा भगवंतनगर में विकास अपेक्षा के अनुरूप रफ्तार नहीं पकड़ पाया। इस क्षेत्र के आवागमन का मुख्य माध्यम उन्नाव-रायबरेली मार्ग को कई चुनावों में मुद्दा बनाकर प्रत्याशियों ने विधानसभा तक का सफर तय किया। लेकिन इस मार्ग के हालात नहीं बदले। रायबरेली और फतेहपुर जिले की सीमाओं से सटी भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र अधिकांश समय कांग्रेस का कब्जा रहा। स्वाधीनता संग्राम सेनानी स्व. भगवती सिंह विशारद यहां से सात बार विधायक रहे। आजादी के बाद 19952 और 1962 में कांग्रेस के देवदत्त मिश्रा ने विधानसभा में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1957 में पहली बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतने वाले भगवती सिंह विशारद ने 1969 में कांग्रेस का दामन थामा और चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद वह 1974, 1980, 1985, 1991 में भी जीते। 1970, 1989 और 1993 में जनता पार्टी के चौधरी देवकीनंदन पर जनता ने अपना विधायक चुना। चौधरी देवकीनंदन के निधन से रिक्त हुई सीट के उपचुनाव में सपा के डा. शिव सागर लाल वर्मा ने क्षेत्र का नेतृत्व किया।।1996 में भाजपा से कृपा शंकर सिंह निर्वाचित हुए जो पुन: बसपा से 2007 में चुने गए, 2002 में बसपा से नत्थू सिंह विजयी रहे और 2012 में क्षेत्र के लोगों ने सपा के कुलदीप सिंह सेंगर को विधायक चुना। इसके बाद हुए 2017 के चुनाव में भाजपा के ह्रदयनारायण दीक्षित को जनता ने विधानसभा भेजा। ह्रदयनारायण दीक्षित इस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं। इस लिहाज से यह सीट वीआईपी भी मानी जाती है।

विधायक का परिचय
विधायक ह्रदय नारायण दीक्षित लंबे समय से सक्रिय राजनीति में हैं। वह 1985 में पुरवा से निर्दलीय जीते, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी, 1993 में सपा से चुनाव जीते थे। 2017 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें भगवंतनगर से उतारा और वह चुनाव जीतकर फिर विधानसभा पहुंचे।

विधानसभा क्षेत्र की खासियत
सिद्धपीठ चंद्रिका देवी बक्सर धाम, राजा रावराम बक्श सिंह स्मारक डौंडिया खेड़ा, पाटन का तकिया मेला, साहित्यकार पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, शिवमंगल सिंह सुमन, बैजेगांव बेथर के हिंदी के पुरोधा पं. प्रताप नारायण मिश्र, कवि पं. गया प्रसाद शुक्ल सनेही, हास्य कवि काका बैसवारी, मगरायार के बलई काका, अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का गांव बदरका, मानपुर में राजकीय पालीटेक्निक।

भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा
कुल मतदाता- 406823
पुरुष- 220490
महिला-186328
अन्य 05
साक्षरता दर-79 फीसदी

अब तक के विधायक
1957 भगवती सिंह प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी
1962 देवदत्त  कांग्रेस
1967 भगवती सिंह प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी
1969 भगवती सिंह कांग्रेस
1974 भगवती सिंह कांग्रेस
1977 देवकी नंदन  जनता पार्टी
1980 भगवती सिंह कांग्रेस
1985 भगवती सिंह कांग्रेस
1989 देवकी नंदन  भाजपा
1991 भगवती सिंह काग्रेस
1993 देवकी नंदन  भाजपा
1996 कृपाशंकर सिंह भाजपा
2002 नत्थू सिंह  बसपा
2007 कृपाशंकर सिंह बसपा
2012 कुलदीप सेंगर  सपा
2017 ह्रदयनारायण दीक्षित भाजपा

जातीय समीकरण (अनुमानित)
ब्राह्मण-70 हजार
क्षत्रिय-48 हजार
रैदास-44 हजार
रावत-36 हजार
कुर्मी- 34 हजार
यादव- 31 हजार
लोधी- 36 हजार
मुस्लिम-23 हजार

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