केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे बीजेपी के मेगा सदस्यता अभियान की भी शुरुआत करेंगे। साथ ही पार्टी नेताओं के साथ आगे की रणनीति भी तैयार करेंगे।प्रधानमंत्री मोदी के बाद शाह का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) की रणनीतियों और तैयारियों के मंथन के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शुक्रवार को लखनऊ (lucknow) पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे बीजेपी (bjp) के मेगा सदस्यता अभियान की भी शुरुआत करेंगे। साथ ही पार्टी नेताओं के साथ आगे की रणनीति भी तैयार करेंगे। भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही है कि 2022 में भी 2017 का प्रदर्शन दोहराएंगे। पार्टी ने इसके लिए पूरी तरह से कमर भी कस ली है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार प्रदेश को मथने में लगे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) के बाद अब अमित शाह का यह दो दिवसीय दौरा काफी अहम माना जा रहा है।
शाह देंगे जीत का 'मंत्र'
अमित शाह अपने इस दौरे पर दो दिनों तक यूपी की सियासी नब्ज टटोलेंगे। वह बीजेपी के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के लिए हर रणनीति पर मंथन करेंगे। शाह सदस्यता अभियान को हरी झंडी दिखाने के साथ ही चुनावी तैयारियों की भी समीक्षा करेंगे। संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इतना ही नहीं जनप्रतिनिधियों से मिलकर फीडबैक भी लेंगे। शाह की बैठक में प्रदेश के सभी पूर्व विधायक और पूर्व सांसद भी बुलाए गए हैं। इनमें तमाम पूर्व जनप्रतिनिधि अब संगठन के कार्यों में सक्रिय नहीं हैं, जबकि क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। गृहमंत्री इन सभी को आगामी चुनाव के लिए सक्रिय करना चाहते हैं।
बीजेपी का कुनबा बढ़ाने पर जोर
अमित शाह का फोकस सामाजिक समरसता के साथ ज्यादा से ज्यादा पिछड़ों और दलितों को पार्टी से जोड़ने पर रहेगा।उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दो करोड़ 30 लाख सदस्य हैं। पार्टी की कोशिश इसे चार करोड़ तक पहुंचाने की है। सभी पदाधिकारियों, अलग-अलग मंडल प्रभारी, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, शक्ति केंद्र और बूथ अध्यक्षों को ये जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे ज्यादा से ज्यादा अन्य वर्गों के साथ पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जाति के लोगों को पार्टी के साथ जोड़ें और सक्रिय सदस्य बनाएं।
फर्स्ट टाइम वोटर्स टारगेट
बीजेपी का यह भी टारगेट है कि 18 साल से ऊपर के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी कर सदस्यता से जोड़ा जाए। यूपी में 18 से 19 साल के 7.42 लाख मतदाता हैं। इसके अलावा 18 से 40 साल के वोटर्स को बीजेपी का वोटर बनाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। पार्टी के साथ नए सदस्यों को जोड़ने का जिम्मा मंत्रियों, विधायकों और सांसदों से लेकर निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं को भी दिया गया है। गृ मंत्री अमित शाह भाजपा के इस अभियान को गति देने लखनऊ आ रहे हैं।
दलित जाटवों पर नजर
बीजेपी की नजर दलित वोटरों पर है, यही वजह है कि मंगलवार को जाटव दलितों की बैठक के बाद बीजेपी बुधवार को एक और प्रभावशाली जाति समूह सोनकर के साथ बैठक कर रही है। जाटव बैठक में, भाजपा ने प्रभावशाली दलित उप-जाति के नेताओं को प्रमुखता से प्रदर्शित किया, जिसमें एक जाटव दलित महिला बेबी रानी मौर्य को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था, जिसे बहुजन समाज पार्टी के कट्टर समर्थक माने जाने वाली इस प्रमुख दलित उप-जाति से जुड़ने के लिए बैठकें आयोजित करने का काम सौंपा गया था।
नॉन परफॉर्मर का कट सकता है पत्ता
अमित शाह के इस दौरे को लेकर उन विधायकों के टिकट पर खतरा मंडरा रहा है, जिनका या तो परफॉर्मेंस खराब है, या हारने का चांस है या फिर उनका संगठन से तालमेल सही नहीं है। खबर है कि भाजपा संगठन इंटरनल सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इस बार 312 विधायकों में से एक तिहाई यानी 100 से अधिक सिटिंग विधायकों-मंत्रियों के टिकट काट सकता है। शाह के दौरे पर सिटिंग विधायकों के परफॉर्मेंस पर भी चर्चा होगी।
यूपी की सियासत को बखूबी समझते हैं शाह
अमित शाह की अगुवाई में ही बीजेपी यूपी जैसे बड़े राज्य में अपने खोए जनाधार को वापस लाने में सफल रही थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रभारी रहते शाह ने बीजेपी को जीत दिलाने में सफल रहे थे तो 2017 के विधानसभा चुनाव में बतौर पार्टी अध्यक्ष उन्होंने सत्ता का सूखा खत्म करवाया था। 2017 के चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन 325 सीटें जीतने में सफल रहा था, जिसमें अकेली बीजेपी को ही 312 सीटें मिली थी। उत्तर प्रदेश की बात करें तो अब तक सिर्फ तीन बार ही कोई पार्टी 300 से ज्यादा सीटें जीत सकी है। ऐसे में जब चुनाव नजदीक है और हर पार्टी रणनीति को धार देने में जुटी है तो अमित शाह का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। बता दें कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने फिर से एक बार सीएम योगी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव के मैदान में उतरने का फैसला किया है, तो वहीं इस बार कांग्रेस ने प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) को यूपी की कमान सौंप दी है। वहीं सपा की तरफ से अखिलेश यादव (akhilesh yadav) तो बसपा की कमान मायावती (Mayawati) के हाथ में ही है।
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