यूपी सरकार ने पंचायत आरक्षण के प्रस्ताव को दी मंजूरी, जानिए कब हो सकते हैं चुनाव

योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने पंचायत चुनाव के लिए होने वाले आरक्षण को भी तय कर दिया है। इसमें कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव के माध्यम से संशोधन किया गया है। प्रदेश में गांव की सरकार बनाने के लिए हाई कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव की तैयारी है। इसके लिए 17 मार्च से पहले आरक्षण की सूची आनी थी। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2021 6:21 AM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh) । यूपी सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत के लिए  होने वाले चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है। मंगलवार की शाम हुई कैबिनेट बाई सर्कुलेशन की मीटिंग में पंचायतों के आरक्षण प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इस दौरान पूर्वती सपा सरकार में उत्तर प्रदेश पंचायत राज (स्थानों व पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली में किए गए दसवें संशोधन की दो धाराओं को हटा दिया गया है। जिससे अब पुनर्गठित मुरादाबाद, गोंडा, संभल और गौतमबुद्धनगर सहित सभी 75 जिलों में एक समान आरक्षण फार्मूले पर अमल किया जाएगा। उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बाई सर्कुलेशन बैठक में इसके साथ ही 11 अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

पंचायतों का आरक्षण तय
योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने पंचायत चुनाव के लिए होने वाले आरक्षण को भी तय कर दिया है। इसमें कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव के माध्यम से संशोधन किया गया है। प्रदेश में गांव की सरकार बनाने के लिए हाई कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव की तैयारी है। इसके लिए 17 मार्च से पहले आरक्षण की सूची आनी थी। इस सूची के आने से पहले सरकार ने आज आरक्षण के प्रस्ताव में संशोधन किया। कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने प्रस्ताव रखा था, अब कई जिलों में पंचायत सीटें प्रभावित होंगी।

हाईकोर्ट का है आदेश,30 अप्रैल तक हो जाए चुनाव
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला दिया था। सीटों के निर्धारण से लेकर चुनाव कराने तक का शेड्यूल तय कर दिया था। जिसके मुताबिक 30 अप्रैल तक ग्राम पंचायत चुनाव हो जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने कहा है कि 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा हो जाए। 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव कराएं। यह फैसला जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस आरआर अग्रवाल की बेंच ने दिया। 

आयोग मई में चुनाव कराना चाहता था चुनाव
बताते चले कि एक सप्ताह पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा था पंचायत चुनाव मई में शेड्यूल हैं। चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि कोविड-19 के चलते परिसीमन में देरी हुई। 22 जनवरी को वोटर लिस्ट तैयार हो गई थी। इसके बाद 28 जनवरी तक परिसीमन भी कर लिया गया था। सीटों का आरक्षण राज्य सरकार को करना है, इसलिए चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो चुके। कहा गया कि सीटों का रिजर्वेशन पूरा होने के बाद चुनाव में अभी 45 दिन का समय और लगेगा। इसलिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से समय मांगा। लेकिन कोर्ट ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।

याचिकाकर्ता का था ये आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश विनोद उपाध्याय नाम के शख्स की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग व राज्य सरकार के द्वारा संविधान के आर्टिकल 243A का उल्लंघन किया जा रहा है। पंचायतों के कार्यकाल खत्म होने के भीतर चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए। लेकिन देरी की जा रही है।
 

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