UP: Amit Shah बोले- 5 साल घर बैठने वाले नए कुर्ते सिलाकर आ गए, अखिलेश से पूछे ये 5 सवाल...

यूपी (UP) में पिछले तीन दशक से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। सत्ता में रहने वाली पार्टी सरकार में वापसी नहीं कर सकी है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के सामने बीजेपी (BJP) की सत्ता में वापसी के लिए 2017 जैसे नतीजे दोहराने की चुनौती होगी। शाह शनिवार यानी 30 अक्टूबर को उत्तराखंड (Uttrakhand) के देहरादून (Dehradun) में बन्नू स्कूल मैदान में एक बड़ी जनसभा करेंगे।

लखनऊ। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लखनऊ में 'मेरा परिवार-भाजपा परिवार' सदस्यता अभियान (Mera Parivar BJP Parivar membership campaign) का शुभारंभ कर दिया है। उन्होंने यहां वृंदावन योजना स्थित डिफेंस एक्सपो मैदान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। शाह ने सीधे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर निशाना साधा और कहा कि यूपी में कोरोना महामारी आई, बाढ़ आई, तब आप कहां थे अखिलेशजी? इसका हिसाब दे दीजिए। इन लोगों ने खुद के लिए और उनके परिवार के लिए ही सब किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा का घोषणा पत्र कोई NGO या संस्था नहीं बनाती है। 22 करोड़ जनता द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर तैयार होता है। पांच साल तक घर बैठने वाले, नए कपड़े सिलाकर चुनाव के मैदान में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यूपी को एक पहचान दी है। ये सिद्ध किया है कि सरकारें जो बनती हैं, वो परिवार के लिए नहीं होती, उसका संकल्प गरीब से गरीब परिवार का विकास करना होता है। बीजेपी ने यह करके दिखाया है।

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यूपी में पलायन कराने वालों को खुद पलायन हो गया
उन्होंने लोगों से कहा कि आपने दोबारा दो तिहाई बहुमत दिया तो मोदीजी ने राम जन्मभूमि का शिलान्यास कर दिया और देखते-देखते आज आसमान को छूने वाला भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। यूपी में कई वर्षों तक सपा-बसपा का खेल चलता रहा, उसने उत्तर प्रदेश को बर्बाद कर दिया था। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति देखकर खून खौलता था। आज उत्तर प्रदेश में कोई पलायन नहीं होता, पलायन कराने वालों का खुद पलायन हो गया है। एक बहुत बड़ा परिवर्तन देश में मोदीजी और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने किया है।

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अखिलेश यादव से पूछे ये 5 सवाल...

भाजपा का चुनाव जीतने का प्लान बताया...
शाह ने बताया कि भाजपा का सदस्यता अभियान 29 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक चलेगा। यूपी में 53% आबादी युवा है, युवाओं, गरीबों, महिलाओं, दलितों, पिछड़ों को पार्टी के साथ जोड़ने का कार्य भाजपा करेगी। बाकी सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव सत्ता हथियाने का जरिया है। भाजपा के कार्यकर्ता के लिए चुनाव पार्टी की विचारधारा को घर-घर पहुंचाने का चुनाव है। जनता की समस्या को जानने का चुनाव है। सरकार के किए हुए कार्यों को लोगों तक पहुंचाने का चुनाव है।

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योगी बोले- बीजेपी कार्यकर्ताओं से दंगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सदस्यता अभियान के तहत 1.5 करोड़ नए लोगों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की कल्पना साकार हो रही है। सीएम का कहना था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में 2014 में नई चेतना आई थी। आज बीजेपी ने वो करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दंगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और केंद्र और यूपी दोनों में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया। हर कोई इस बात पर गर्व महसूस कर रहा है कि राम मंदिर का निर्माण पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में हो रहा है। इस बार पूरी दुनिया अयोध्या दिवाली दीपोत्सव देखेगी।

वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग, दी जाएगी जिम्मेदारी
शाह ने अवध क्षेत्र के शक्ति प्रभारियों और संयोजकों को बूथ जीतने का मंत्र दिया। अब वे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे और उन्हें विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपेंगे। बैठक में पार्टी के पूर्व विधायक और पूर्व सांसदों के साथ लोकसभा चुनाव 2019 में 80 लोकसभा क्षेत्रों के प्रभारी और संयोजक रहे नेताओं को भी बुलाया गया है। शाह शाम को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और सात चुनाव सह प्रभारियों की बैठक में चुनावी रणनीति तय करेंगे। 

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शाह का फोकस सामाजिक समरसता पर रहेगा
बता दें कि अमित शाह के मैनेजमेंट से बीजेपी यूपी में वापसी कर सकी है। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रभारी रहते बीजेपी को जीत दिलाई थी तो 2017 के विधानसभा चुनाव में बतौर पार्टी अध्यक्ष बड़ी कामयाबी दिलाई थी। बीजेपी का सत्ता से 15 साल बाद वनवास खत्म करवाया था। बीजेपी को 312 सीटें मिली थी जबकि एनडीए की 325 सीटें आई थीं। हालांकि, 2022 का चुनाव पिछले तीन चुनाव से काफी अलग है। शाह का फोकस इस बार सामाजिक समरसता पर रहेगा, जिसके तहत पिछड़ों और दलितों को पार्टी से जोड़ने की रणनीति है। 

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