बदायूं से ऐसे साफ हुआ भाजपा का निर्विरोध एमएलसी बनने का रास्ता, सपा प्रत्याशी ने लहराया केसरिया

Published : Mar 24, 2022, 06:35 PM IST
बदायूं से ऐसे साफ हुआ भाजपा का निर्विरोध एमएलसी बनने का रास्ता, सपा प्रत्याशी ने लहराया केसरिया

सार

बरेली मंडल के बदायूं जिले की स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी के समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सिनोद शाक्य ने आमने-सामने के मुकाबले में अपना नामांकन वापस लेकर भाजपा की निर्विरोध जीत का रास्ता साफ कर दिया। 

राजीव शर्मा

बदायूं: उत्तर प्रदेश विधान परिषद यानी एमएलसी स्थानीय निकाय चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को मुकाबले के लिए समाजवादी पार्टी ने बरेली मंडल के बदायूं जिले से जिस प्रत्याशी को मैदान में उतारा, वह समाजवादी चोला उतार केसरिया लहराने निकल पड़े। यहां मुकाबला सपा और भाजपा में आमने-सामने का था। सपा प्रत्याशी पूर्व विधायक सिनोद शाक्य जातीय समीकरण से भाजपा प्रत्याशी बागीश पाठक पर मजबूत भी दिख रहे थे लेकिन उन्होंने अप्रत्याशित घटनाक्रम में बुधवार को अपना नामांकन वापस लेकर सपा खेमे को झटका दिया ही, यहां से भाजपा की निर्विरोध जीत का रास्ता भी साफ कर दिया।

सपा छोड़ी, भाजपा के साथ जाने के कयास
नामांकन वापस लेने के साथ ही सपा प्रत्याशी सिनोद शाक्य ने समाजवादी पार्टी भी छोड़ दी। उन्होंने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का पत्र पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेज दिया। लिखा है कि पार्टी की ओर से मेरे प्रति नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। इससे व्यथित होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। सपा छोड़ने के बाद सिनोद शाक्य का भाजपा में जाना तय माना जा रहा है। वह भाजपा नेताओं के संपर्क में बताए गए हैं। बताया गया कि उनको पार्टी में लाने और नामांकन वापस कराने की रणनीति भाजपा के कुछ नेताओं ने ही बनाई है। सिनोद शाक्य के इस कदम से बदायूं में सपा को इसलिए भी बड़ा झटका लगा है, क्योंकि इस जिले की छह विधान सभा सीटों में से सपा ने तीन सीटें जीती हैं। वैसे भी, बदायूं को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का गढ़ माना जाता है। वह यहां से सांसद रह चुके हैं।

बसपा में थे, पत्नी भी लड़ चुकी हैं चुनाव
सिनोद शाक्य सपा से पहले बसपा में थे और 2007 में बसपा के टिकट पर बदायूं की दातागंज सीट पर जीतकर विधायक बने थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे। उनकी पत्नी सुनीता शाक्य 2014 में बसपा के टिकट पर पड़ोसी आंवला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थीं। मजबूत प्रदर्शन के बाद हालांकि जीत न सकीं लेकिन पिछले साल हुए पंचायत चुनाव के दौरान सिनोद और उनकी पत्नी सुनीता सपा में शामिल हो गईं। सपा ने सुनीता शाक्य को बदायूं से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया लेकिन वह जीत न सकीं। माना जा रहा है कि सिनोद शाक्य के साथ उनकी पत्नी भी भाजपा में शामिल हो जाएंगी। चूंकि बदायूं जिले में बड़ी संख्या में शाक्य-मौर्य मतदाता हैं इसलिए भाजपा उनको साथ लाना चाहती है। 

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