कल्याण सिंह के वह बड़े फैसले..जिन्हें लोग हमेशा रखेंगे याद..यूपी की राजनीति में जो बन गए नजीर

भाजपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया। 9 बजे उन्होंने 89 साल की उम्र में लखनऊ के पीजीआई में आखिरी सांस ली। उनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी में तेज तर्रार नेताओं में होती थी। 

लखनऊ. भाजपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया। 9 बजे उन्होंने 89 साल की उम्र में लखनऊ के पीजीआई में आखिरी सांस ली। उनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी में तेज तर्रार नेताओं में होती थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह सीएम रहते जो भी फैसला लेते थे उस पर वह डटे रहते थे, चाहे फिर उनकी कुर्सी ही क्यों ना चली जाए। ऐसे उनके कई फैसले हैं जिनको शायद कोई कभी भूल पाएगा। लेकिन कल्याण सिंह के तीन ऐसे बड़े निर्णय हैं जिन्हें शायद कभी यूपी क्या देश की जनता भूल पाए। आइए जानते हैं क्यां कल्याण सिंह के वह यादगार फैसले...

1 बाबसी विध्वंस की ली जिम्मादीर: कल्याण सिंह का सबसे बड़ा फैसला था बाबरी विध्वंस कि जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली थी। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी ढ़ाचा गिराया गया तो सभी जगह उस वक्त बीजेपी की कड़ी आलोचना होने लगी। पार्टी में सभी नेता चर्चा करने लगे कि आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इसी बीच कल्याण सिंह ने फैसला किया कि वह इस विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी सत्ता की कुर्बानी तक देनी पड़ी। लेकिन वह सीएम के पद में अपने फैसले से नहीं हटे और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

Latest Videos

2.नकल अध्यादेश:  कल्याण सिंह को बाबरी विध्वंश के अलावा नकल अध्यादेश लागू करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने बोर्ड परीक्षा के वक्त  नकल करते हुए पकड़े जाने पर एक कानून बनाया। जिसके अनुसार कोई बुक सामने रखकर चीटिंग करके पकड़ा गया तो उसे जेल भेज दिया जाएगा।  जिसका परिणाम यह था कि बच्चे गलती से भी नकल की पर्ची पास नहीं रखते थे। इतना ही नहीं इस दौरान सैंकड़ो छात्र पकडाए भी थे जिन्हें जेल भेजा गया था। यह नकल अध्यादेश उस वक्त लागू हुआ था जब यूपी के सिंह शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे।

यह भी पढ़ें-ऐसा है कल्याण सिंह का परिवार, बेटा सांसद तो पोता है मंत्री, नातिन इस राजनेता के घर की है बहू

3. कुख्यात अपराधी का किया खात्मा: कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए कानून-व्यवस्था राज्य में बनी रहती थी। उनके कार्यकाल में अपराधियों की खैर नहीं थी। माफियाओं की कमर तोड़ने की शुरुआत उन्होंने ही की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुतबिक, उनकी डेढ़ साल की सत्ता में 1200 से अधिक अपराधी जेल भेजे गए थे। इतना ही नहीं कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला ने कल्याण सिंह को मारने के लिए 5 करोड़ की सुपारी ली थी। जिसका खात्मा कराने के लिए कल्याण सिंह ने 1998 में यूपी पुलिस में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन कराया गया।

यह भी पढ़ें-8 बार सांसद..3 बार मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक रहे, जो चाहा वो पाया..लेकिन अधूरी रह गई आखिरी दिली इच्छा

Share this article
click me!

Latest Videos

SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस
पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
Dev Diwali 2024: देव दिवाली आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सबसे खास उपाय
कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल