सत्रहवीं विधानसभा के भंग होने तथा योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देने के बाद नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गुजरात दौरे की वजह से सीएम योगी व प्रदेश के भाजपा के नेताओं का दिल्ली दौरा दो दिन टल गया था। मोदी और शाह शनिवार शाम दिल्ली लौट आए। अब योगी और प्रदेश भाजपा के नेता रविवार को दिल्ली जा रहे हैं।
लखनऊ: प्रदेश में नई सरकार के गठन को लेकर रविवार को दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजदूगी में मंथन होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, केशव प्रसाद मौर्य समेत प्रदेश भाजपा के कई वरिष्ठ रविवार सुबह दिल्ली जा रहे हैं।
इन नेताओं की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व व राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक होगी जिसमें नई सरकार का खाका खींचा जाएगा। भाजपा विधायक दल के नेता चयन के लिए भी एक-दो दिन में केंद्रीय पर्यवेक्षक की नियुक्ति हो जाने की संभावना है। होली के बाद 21 मार्च को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है।
सत्रहवीं विधानसभा के भंग होने तथा योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देने के बाद नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गुजरात दौरे की वजह से सीएम योगी व प्रदेश के भाजपा के नेताओं का दिल्ली दौरा दो दिन टल गया था। मोदी और शाह शनिवार शाम दिल्ली लौट आए। अब योगी और प्रदेश भाजपा के नेता रविवार को दिल्ली जा रहे हैं।
भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार योगी दिल्ली में मोदी, शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, राधा मोहन सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, बीएल संतोष तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से भेंट करेंगे। इसके बाद भाजपा के केंद्रीय व प्रदेश के नेताओं की बैठक में नई सरकार के गठन को लेकर विचार-विमर्श होगा।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में होने वाली बैठक में विधायक दल के नेता के चयन की औपचारिकता पूरी करने, मंत्रिमंडल के आकार और उसमें शामिल किए जाने वाले चेहरों, शपथ ग्रहण की तारीख आदि पर चर्चा होगी। सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व की हरीझंडी मिल जाती है तो होली के तत्काल बाद 21 मार्च को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है। इससे पहले केंद्रीय पर्यवेक्षक को लखनऊ भेजकर विधायक दल के नेता चयन कराने की औपचारिकता पूरी किए जाने के भी संकेत हैं।
विधानसभा भंग, सभी समितियां समाप्त
सत्रहवीं विधानसभा भंग होने के साथ ही विधानसभा की गठित सभी समितियां तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार सत्रहवीं विधानसभा के जो सदस्य विभिन्न समितियों, परिषदों व निकायों आदि में विधानसभा सदस्य की हैसियत से निर्वाचित या नामित किए गए थे, उनकी सदस्यता भी समाप्त हो गई है।
नेता प्रतिपक्ष की मान्यता भी खत्म
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार विधानसभा भंग होने के बाद नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी अब सदन के सदस्य नहीं रहे इसलिए विधानसभा में उन्हें नेता विरोधी दल के रूप में दी गई मान्यता समाप्त हो गई है।
केशव का राजनीतिक भविष्य तय करेगा संघ और संगठन
भाजपा के कद्दावर पिछड़े वर्ग के नेता केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू से चुनाव हारने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि केशव अभी विधान परिषद सदस्य हैं। ऐसे में केशव को योगी सरकार में जगह मिलेगी या उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय टीम में जिम्मेदारी दी जाएगी, इसका निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अगले सप्ताह तक करेगा।
केशव ने विश्व हिंदू परिषद के जरिए भाजपा की राजनीति में कदम रखा था। विहिप के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के करीबी रहे केशव को आरएसएस के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सर सह कार्यवाह कृष्णगोपाल सहित अन्य नेताओं का भी करीबी माना जाता है।
सूत्रों के मुताबिक पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही केशव के मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली में 13 व 14 मार्च को होने वाली बैठक में संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं के स्तर पर केशव को लेकर चर्चा की जाएगी।